हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को समर्थ करना, कालानुसार आवश्यक ! – दत्तात्रेय होसबले, सरकार्यवाह (Sarkaryavah), रा.स्व. संघ
‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’
बैंकाक (थाईलैंड) – हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को समर्थ करना, कालानुसार आवश्यक है तथा इसके लिए समन्वय, परस्पर सहयोग, सूचनाओं का आदान-प्रदान आवश्यक है । हिन्दू संस्कृति ने विश्व को अत्यधिक मात्रा में योगदान किया है । मानवता पर खरे अर्थ से प्रभाव डालना हो, तो हमें हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को पुनरूज्जीवित करना आवश्यक है । चुनौतियों का सामना करने के लिए एकत्रित होकर नीतियां निश्चित करना आवश्यक है । इसीसे काल के लिए आत्यंतिक आवश्यक हिन्दुओं का पुनरूत्थान संभव है, ऐसा वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह (Sarkaryavah) दत्तात्रेय होसबले ने दिया । ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ के प्रथम दिन सायंकाल के सत्र में ‘हिन्दू संगठनात्मक शक्ति को पुनरूज्जीवित करना और हिन्दुओं का पुनरुत्थान करना’, इस विषय पर बोल रहे थे ।
(सौजन्य : Indraprasth Vishwa Samvad Kendra)
श्री. होसबले ने आगे कहा कि,
१. हिन्दू पुनरुत्थान की प्रक्रिया का वैश्विक स्तर पर आरंभ हो चुका है । हिन्दुओं में भी अब नवजागृति हो रही है । हिन्दुत्व का योग, आयुर्वेद आदि के माध्यम से वैश्विक स्तर पर प्रसार हो रहा है । हिन्दू धर्म में न जन्में लोगों को भी हिन्दू धर्म में जिज्ञासा उत्पन्न हुई है ।
२. हिन्दू संस्कृति को विरोध, अपमान और विडंबना से जाना पडा । अब वैश्विक स्तर पर हिन्दू धर्म के प्रति स्वीकृति और आदर आदि में वृद्धि का समय आया है । धन और ज्ञान का उपयोग समाज हित के लिए होना चाहिए ।
३. इसीके साथ हमारे सामने बडी चुनौतियां हैं । इनमें ‘हिन्दुओं का धर्मांतरण, हिन्दुओं के मानवाधिकारों का हनन, शिक्षा क्षेत्र में निश्चयात्मक रुप से हिन्दुत्व को प्रस्तुत न कर पाना, प्रसारमाध्यमों के क्षेत्र में हिन्दुओं की उपस्थिति का अभाव और अनेक देशों में हिन्दुओं की प्रभावी आवाज न होना’, आदि चुनौतियां समाविष्ट हैं ।
४. हिन्दुओं को और प्रमुख रुप से युवा पीढी को धर्म के संदर्भ में शिक्षा नहीं है । युवकों को उनकी भाषा में वर्तमान प्रणालियों का उपयोग कर जीवन का वास्तविक ध्येय आदि विषयों के संदर्भ में दिशादर्शन करना होगा ।
हिन्दुओं का पुनरुत्थान होने के लिए संत और आध्यात्मिक नेताओं का मार्गदर्शन आवश्यक ! – श्री. मधु पंडित दास, अध्यक्ष, इस्कॉन बेंगलुरु
आधुनिक विश्व में प्रसारमाध्यम और प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा सनातन धर्म के संदर्भ में कुप्रचार किया जा रहा है और हिन्दू धर्म तथा उनकी रूढी-परंपराओं के प्रति संभ्रम उत्पन्न किया गया है । धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दुओं की युवा पीढी द्वारा सांस्कृतिक परंपराओं का स्वीकार नहीं किया जाता । इसीलिए आज हम रामराज्य और सनातन धर्म से निर्मित गौरवशाली इतिहास से बहुत दूर गए हैं । इसीलिए हिन्दू पुनरुत्थान की आवश्यकता है । इसीसे भारत ने गंवाया सबकुछ उसे पुनश्च प्राप्त होगा । साथही समाज, राज्य, देश और विश्व का खरे अर्थ से कल्याण होगा । हिन्दुओं के पुनरुत्थान के लिए संत एवं आध्यात्मिक नेताओं का मार्गदर्शन लेना अत्यंत आवश्यक है ।
‘एक बार मन्द़िर, सदा के लिए मन्द़िर’, सनातन के इस तत्व को स्वीकार करें ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन
इस्लामिक कानून कहता है कि एक बार मस्जिद बन जाए तो वह सदा मस्जिद ही रहती है । यदि कोई भूमि वक्फ बोर्ड द्वारा अधिग्रहित की जाती है, तो वह सदा वक्फ के पास ही रहती है । इसी प्रकार, सनातन धर्म का तत्व है, ‘एक बार मंदिर, सदा के लिए मंदिर’; परन्तु दुर्भाग्य है कि हम इस तत्व को स्वीकार नहीं करते । श्रीराम मंदिर के निर्णय के समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक बार भगवान की मूर्ति स्थापित होने के उपरांत वहां उसका अधिकार सदा स्थापित रहता है । सर्वोच्च न्यायालय के प्रखर हिन्दू अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इससे इस सिद्धांत को कानूनी समर्थन मिला है ।
अपने भाषण में अधिवक्ता जैन ने वाराणसी में ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह दीवार एक हिन्दू मंदिर का अवशेष है । ज्ञानवापी का सर्वेक्षण करने वाली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण समिति में मैं भी था । यह स्पष्ट है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर के अवशेषों का उपयोग करके किया गया था । मस्जिद उस स्थान की मूल धार्मिक पहचान नहीं है । यदि कोई मस्जिद में जाकर वहां मूर्ति स्थापित कर दे तो क्या उस धार्मिक स्थान को मंदिर कहा जा सकता है? इसका केवल एक ही उत्तर है और वह है ‘नहीं’! इसी प्रकार, यदि कोई किसी मंदिर में प्रवेश करने लगे तथा वहां नमाज पढ़ने लगे, तो क्या मंदिर की विशेषताएं समाप्त हो जाएंगी? इसका एक ही उत्तर है- ‘नहीं’! ज्ञानवापी में और कुछ नहीं किया गया है, बल्कि हमारे मंदिर के अवशेषों से एक मस्जिद बनाई गई है ।
यदि प्राथमिक शिक्षा से ही मूल भारतीय दर्शन पढ़ाया जाए तो आधे से अधिक दुख दूर हो जाएंगे ! – अभिजीत मजूमदार
अंग्रेजी समाचार चैनल सीएनएन न्यूज १८ के कट्टर हिन्दूत्वनिष्ठ सलाहकार संपादक अभिजीत मजूमदार ने कहा, “भारत विश्व के लिए सूचना का सबसे शक्तिशाली स्रोत हो सकता है । हमें शिक्षा क्षेत्र की त्रुटियों को सुधार कर यथाशीघ्र नई शिक्षा नीति अपनानी चाहिए । हमें उपनिवेशवादियों, इस्लामवादियों तथा कम्युनिस्टों की गंदगी तथा झूठ से भरी अपनी पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तन करना होगा । मातृभाषा में शिक्षा देने से शिक्षा को सशक्त बनाया जा सकता है । मूल भारतीय दर्शन को प्राथमिक शिक्षा से पढ़ाया जाना चाहिए । यह अकेले ही अगली १-२ पीढ़ियों में हमारी संस्कृति के आधे से अधिक आघात को समाप्त कर देगा, क्योंकि यही सभी का स्रोत है ।
अश्लील विषय दिखाना तथा उसका प्रसार करना राष्ट्रविरोधी कृत्य है ! – लेखक उदय माहूरकर
बैंकॉक (थाईलैंड) – भारत सरकार के पूर्व सूचना आयुक्त, लेखक एवं इतिहासकार श्री. उदय माहुरकर ने ’विश्व हिन्दू कांग्रेस’ के पहले दिन ‘हिन्दू मीडिया सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि ’नेटफ्लिक्स’ जैसे ’ओटीटी’ मीडिया के माध्यम से दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों का हिन्दू परिवारों पर भयानक प्रभाव पड़ रहा है । ये परिणाम इतने विनाशकारी हैं कि ’वेब सीरीज’ बनाने वाले ये लोग हिन्दू समाज को अलाउद्दीन खिलजी तथा औरंगजेब से भी अधिक हानि पहुंचा रहे हैं । इसके विरूद्ध कठोर कानून आवश्यक है । इस अधिनियम में अश्लील सामग्री के प्रदर्शन तथा प्रसार को राष्ट्र विरोधी कृत्य बताने का प्रावधान सम्मिलित होना चाहिए ।