हम ‘धर्म विजय’ में विश्वास करते हैं ! – प.पू. सरसंघचालक
बैंकॉक (थाईलैंड) में ३ दिवसीय ‘विश्व हिन्दू कांग्रेस’ का उद्घाटन !
बैंकॉक (थाईलैंड) – हमने ‘धन विजय’ एवं ‘असुर विजय’ का अनुभव किया है । धन विजय का अर्थ है; स्थूल वस्तु से मिलने वाला आनंद किंतु उसमें हेतु योग्य नहीं ! यह आत्मकेंद्रित होने समान है । भारत ने धन पर ब्रिटिश विजय के २५० वर्ष देखे । ‘असुर विजय’ का अर्थ है दूसरे धर्मों के प्रति आक्रामक भावना रखना । मुसलमानों ने ५२० वर्षों तक शासन किया । इससे हमारी धरती पर भीषण अनाचार हुए ।’ हम हिन्दू ‘धर्म विजय’ में विश्वास करते हैं । हमारे धर्म का यही आधार है । यह प्रक्रिया धर्म के नियमों पर आधारित है तथा परिणामस्वरूप, धर्म हमारे लिए एक कर्तव्य बन जाता है । सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत अपने मार्गदर्शन में ऐसा कहा । वे यहां २४ नवंबर से आरंभ हुई तीसरे ‘विश्व हिन्दू कांग्रेस’ के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे ।
´वर्ल्ड हिन्दू फाऊंडेशन´ की ओर से प्रत्येक ४ वर्ष में यह सम्मेलन आयोजित किया जाता है । सम्मेलन २६ नवंबर तक चलेगा । इसमें पूरे विश्व से साधु-संत, हिन्दू बुद्धिजीवी, संगठनों के प्रमुख एवं अधिकारी सम्मिलित हुए हैं । सरसंघचालक ने आगे कहा कि हमारे धर्म के अनुसार विश्व एक परिवार है । हम सबको ‘आर्य’ अर्थात ‘एक संस्कृति’ का बनाएंगे । भारत में सभी संप्रदायों को अनुशासन का पालन करने के लिए शुद्ध होने की आवश्यकता है । हिन्दुओं की परंपराओं में कुछ अंतर हो सकते हैं; किंतु वे परंपराएं धर्म का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करती हैं ।
श्रीराम मंदिर की प्रतिध्वनि संपूर्ण विश्व में सुनाई दे ! – स्वामी विज्ञानानंद, वर्ल्ड हिन्दू फाऊंडेशन के प्रमुख
‘वर्ल्ड हिन्दू फाऊंडेशन’ के प्रमुख एवं ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ के मुख्य आयोजक स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि हमने अयोध्या से प्रसाद मंगाया है । अयोध्या में निर्माण होने वाले श्रीराम मंदिर की प्रतिकृति यहां (बैंकॉक) बनाई जा रही है । हम अयोध्या से श्रीरामलला के जन्मस्थान का छायाचित्र भी लाएंगे । श्रीराम लला की प्रतिष्ठापना पूर्व ही श्रीराम मंदिर की प्रतिध्वनि पूर्ण विश्व में सुनाई देनी चाहिए ।
‘धर्म विजय का आधार,’ इस विचार पर सम्मेलन की संकल्पना !
तृतीय विश्व हिन्दू कांग्रेस सम्मेलन की अवधारणा है, ‘धर्म विजय का आधार’ है ! इसमें हिन्दुओं की उपलब्धियों के साथ-साथ विश्व के अनेक क्षेत्रों में हिन्दुओं के साथ हो रहे उत्पीडन, भेदभाव एवं उससे निपटने की पद्धतियों पर भी चर्चा की जाएगी । पहली विश्व हिन्दू कांग्रेस वर्ष २०१४ में देहली में तथा दूसरी परिषद वर्ष २०१८ में अमेरिका के शिकागो में आयोजित की गई थी । कोरोना काल के कारण तीसरा सम्मेलन विलंब से होने के फलस्वरूप अब आयोजित किया गया है ।
प.पू. सरसंघचालक द्वारा प्रस्तुत सूत्र
हम प्रत्येक हिन्दू तक पहुंचना चाहते हैं !
हमें प्रत्येक हिन्दू तक पहुंचना है ।’ सभी हिन्दू एक साथ आएंगे तथा पूरे विश्व के हिंदुओं से जुडेंगे । हिन्दू एक-दूसरे से अधिक से अधिक जुड रहे हैं एवं विश्व से जुडने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है ।
आनंद एवं संतुष्टि का रास्ता दिखाएगा भारत !
‘भारत सुख एवं संतोष का मार्ग प्रशस्त करेगा’, कोरोना महामारी के उपरांत पूरी दुनिया ने यह स्वीकार कर लिया है तथा एकमत से इस पर विचार कर रही है । आज का विश्व डगमगा रहा है ! पिछले दो सहस्राब्दियों तक उन्होंने सुख एवं शांति के लिए भौतिकवाद, साम्यवाद तथा पूंजीवाद का प्रयोग किया । उन्होंने अनेक धर्मों से जुडे प्रयोग भी किए । उन्हें भौतिक समृद्धि प्राप्त हुई; किंतु कोई संतुष्टि नहीं हुई । अब कोरोना महामारी के उपरांत उन्होंने इस पर पुनर्विचार करना आरंभ कर दिया है । अब वे इस बात पर सहमत होते दिख रहे हैं कि भारत उन्हें मार्ग दिखाएगा ।
विश्व को आध्यात्मिक स्तर पर ले जाना हिन्दुओं का राष्ट्रीय कर्तव्य है ! – सरसंघचालक
परमपावन सरसंघचालक ने कहा कि विश्व को सुसंस्कृत बनाकर हम जो ‘धर्म विजय’ प्राप्त करेंगे, वह किसी के विरुद्ध नहीं होगी, अपितु यह सभी की विजय होगी । हमें स्थूल जगत से आरंभ करके आध्यात्मिक स्तर की ओर बढना होगा; यह हमारा राष्ट्रीय कर्त्तव्य है । हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम अपने जीवनकाल में यह सब कर सकें !
आओ सनातन धर्म की महिमा पाने के लिए धर्म का आचरण करें ! – प.पू. मां अमृतानन्दमयी
इस अवसर पर पूरे विश्व से आए हिन्दू श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प.पू.माता अमृतानंदमयी ने कहा, “ब्रह्मांड के प्रत्येक परमाणु में हमारे महान ऋषियों द्वारा रचित वेद, पुराण एवं स्तोत्रों की सात्विक शक्ति है । विश्व को हमारे धर्म का पालन करके प्राप्त शांति, प्रेम तथा समृद्धि से समृद्ध होना चाहिए । इस संसार में सब कुछ ईश्वर की देन है । आइए सनातन धर्म की महिमा ग्रहण करने के लिए धर्म का आचरण करें !”
हिन्दुओं के पास वैश्विक सुर (आवाज) एवं संचार व्यवस्था नहीं है ! – बोधिनाथ वेलांशस्वामी
प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका ‘हिन्दूइज्म टुडे’ के संपादक बोधिनाथ वेलनसामस्वामी ने इस समय कहा, ”हिन्दुओं के पास वैश्विक सुर (आवाज) एवं संचार प्रणाली (नेटवर्क) नहीं है । पूरे विश्व के हिन्दू विश्व के अन्य भागों में जो हो रहा है, उससे पूर्णतया वंचित हैं । ‘हिन्दूइज्म टुडे’ पत्रिका पूरे विश्व के हिन्दुओं को जोडने का एक माध्यम है । भारत में पत्रिकाएं अपने गुरुओं के दर्शन, सिद्धांतों एवं वंशावली पर ध्यान केंद्रित करती हैं ।
स्वामीजी ने कहा कि हमारी पत्रिका अराजनीतिक तथा सम-सामयिक शैली में जानकारी उपलब्ध कराती है । यह हिन्दू संस्कृति, पुरुषों, महिलाओं तथा युवाओं का सुर (आवाज) बन गया है । इस पत्रिका का मुख्य उद्देश्य विश्व का सुर (आवाज) बनना तथा पुनर्जन्म, कर्म एवं कर्तव्य में विश्वास करने वाले सनातन धर्मियों के लिए एक तंत्र प्रदान करना है । यह पत्रिका वेद, पुराण एवं स्तोत्रों में उच्चतम ज्ञान का प्रसार करती है ।
हिन्दू जनजागृति समिति ने भी भाग लिया !विश्व हिन्दू कांग्रेस में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, समिति के प्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाल एवं समिति के कार्यकर्ता श्री. श्रीराम लुकतुके ने भाग लिया । |