विद्यालयों के विलीनीकरण का ‘मध्य प्रदेश मॉडल’ पूरे देश में लागू होगा ! – नीति आयोग

छात्रसंख्या ५० से अल्प होनेवाले विद्यालय बडे विद्यालयों में विलीन करने का सुझाव !


नई देहली – पूरे देश की विद्यालयीन शिक्षा की श्रेणी में सुधार लाने तथा अल्प अध्यापक संख्या की समस्या दूर करने के लिए नीति आयोग ने महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए हैं । आयोग ने सभी राज्यों को संबोधित करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश का ‘एक विद्यालय, एक परिसर’, यह ‘मॉडल’ पूरे देश में लागू हो सकता है । इसके अंतर्गत ऐसे सुझाव भी दिए गए हैं कि छात्रों की संख्या ५० से अल्प दिखानेवाले विद्यालयों का बडे विद्यालयों में विलीनीकरण करें तथा अध्यापकों की अल्प संख्या पर मात करने के लिए अध्यापकों की भरती की जाए ।

नीति आयोग ने आगे कहा कि पूरे देश में १० लाख से भी अधिक अध्यापकों की न्यूनता है । इसपर मात करने के लिए ५० से अल्प छात्रों के विद्यालयों का विलीनीकरण किया जाए । अनेक राज्यों में अध्यापकों के ३० से ५० प्रतिशत स्थान रिक्त हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यापकों की बहुत न्यूनता है । अध्यापक भरती को प्राथमकिता देनी होगी ।

क्या है ‘मध्य प्रदेश मॉडल’ ?

मध्य प्रदेश के ८४ सहस्र प्राथमिक विद्यालयों में से ३९ सहस्र विद्यालयों में छात्रसंख्या ४० से अल्प थी । ‘एक विद्यालय, एक कैंपस्’ के अंतर्गत विलीनीकरण कर वर्तमान में राज्य में कुल ३५ सहस्र ११३ विद्यालय कार्यरत हैं ।

इस परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के १ कि.मी. परिसर में आनेवाले ३५ सहस्र विद्यालयों का १६ सहस्र विद्यालयों में विलीनीकरण किया गया । इससे ५५ प्रतिशत विद्यालयों में मुख्य अध्यापकों की न्यूनता दूर हुई । इसके पहले केवल २० प्रतिशत विद्यालयों में मुख्य अध्यापक थे । इस प्रयोग के कारण छात्रों की संख्या भी बढ गई और छात्रों का विद्यालय छोडकर जाना भी अल्प हुआ ।

प्रत्येक शिक्षा अधिकारी पर विद्यालयों की देखभाल का जो बोझ था, वह ४ विद्यालयों से अल्प हुआ ।

वर्ष २०१७ में विद्यालयीन शिक्षा में मध्य प्रदेश १७ वे क्रमांक पर था । अब वह ५ वें क्रमांक पर है । पीछले ४ वर्षाें में राज्य १२ क्रमांक आगे आया है ।