प्रत्येक व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुरूप साधना उपलब्ध होना, यह केवल हिंदू धर्म की विशेषता !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘जितने व्यक्ति, उतनी प्रकृति और उतने ही साधनामार्ग’, यह हिंदू धर्म का एक सिद्धांत है । इसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुरूप साधना उपलब्ध हो, इसके लिए हिंदू धर्म में १४ विद्याओं और ६४ कलाओं के मार्ग से साधना सिखाई जा सकती है । इससे प्रत्येक व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुरूप साधना उपलब्ध होती है और इसीलिए आवश्यक साधना हो रही है ऐसे लोगों की संख्या अन्य धर्मियों से अधिक है ।’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक