तुलसी विवाह

१. तिथि

यह विधि कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक किसी भी दिन करते हैं ।

२. पूजन

श्रीविष्णु (बालकृष्ण की मूर्ति) का तुलसी से विवाह कराने की यह विधि है । इस हेतु, विवाह के पहले दिन तुलसी-वृन्दावन को रंगकर सुशोभित करते हैं । वृन्दावन में गन्ना, गेंदे के पुष्प डालते हैं एवं जड के पास इमली व आंवला रखते हैं । यह विवाह समारोह संध्या के समय करते हैं । (तुलसी की अधिक जानकारी सनातन के ग्रन्थ ‘श्रीविष्णु, श्रीराम व श्रीकृष्ण’ में पढें ।)

३. विशेषताएं

कार्तिक शुक्ल द्वादशी पर तुलसी विवाह उपरान्त चातुर्मास में रखे गए सर्व व्रतों का उद्यापन करते हैं । जो पदार्थ वर्जित किए हों, वह ब्राह्मण को दान कर, फिर स्वयं सेवन करें ।

(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ – ‘त्योहार मनानेकी उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र’)