किसी को भी किसी भी विचारधारा को नष्ट करने का अधिकार नहीं है! – मद्रास उच्च न्यायालय
सनातन धर्म को नष्ट करने की घोषणा करने वाले उदयनिधि स्टालिन और पी.के. शेखर बाबू पर कार्रवाई न करने पर पुलिस को फटकार !
चेन्नई (तमिलनाडु) – मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सनातन धर्म के संबंध में आपत्तिजनक वक्तव्य दिए जाने के उपरांत उदयनिधि स्टालिन और पी.के. शेखर बाबू के विरुद्ध कार्रवाई करने में पुलिस की कर्तव्यहीनता पर प्रश्न उपस्थित हो रहे हैं। मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को अलगाववादी विचारों को प्रोत्साहित करने या किसी विचारधारा को नष्ट करने का अधिकार नहीं है। सत्ता में बैठे व्यक्ति को उत्तरदायित्व से काम करना चाहिए।’ उन्हें ऐसी विचारधाराएं प्रसारित नहीं करनी चाहिए, जो जाति और धर्म के आधार पर लोगों के मध्य वैमनस्य का बीजारोपण कर विभाजन निर्माण करती हैं, उन विचारधाराओं को प्रचारित करने के स्थान पर, वे (उदयनिधि) राज्य में मादक औषधियों की समस्या को नष्ट करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
द्रविड़ विचारधारा के विरोध में आयोजित बैठक की अनुमति देने से न्यायालय का न कार !
इस प्रश्न पर न्यायालय ने द्रविड़ विचारधारा के विरुद्ध आयोजित बैठक के लिए अनुमति देने से नकार दे दिया। इस संबंध में न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की गई थी। इस बैठक के लिए सितंबर मास में अनुमति मांगी गई थी। यह बैठक स्टालिन के वक्तव्य के विरोध में होनी थी।
जो लोग सनातन को नष्ट करने का काम कर रहे हैं उन्हें मादक द्रव्यों के सेवन, भ्रष्टाचार और छुआछूत को नष्ट करने के लिए कार्य करना चाहिए !
न्यायालय ने कहा कि न्यायालय ऐसी किसी भी बैठक की अनुमति नहीं देगा, जिससे लोगों में वैमनस्य बढे व विभाजन हो। इस देश में विभिन्न विचारधाराएं एक साथ विद्यमान हैं, जो भारत की पहचान है। जो लोग सनातन को नष्ट करने का काम करते हैं,उन्हे मादक द्रव्यों के सेवन, भ्रष्टाचार और अस्पृश्यतादि को नष्ट करने के लिए भी कार्यरत होना चाहिए। यहां एक सभा हुई, जिसमें सनातन धर्म को नष्ट करने की घोषणा की गई। पुलिस ने इसमें सम्मिलित लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए यहां द्रविड़ विचारधारा को नष्ट करने के लिए विधानसभा की अनुमति मांगी जा रही है। इससे समाज में विभाजन होगा ।
मद्रास उच्च न्यायालय की सूचना के उपरांत भी स्टालिन अपने वक्तव्य पर अडे हैं !(और इनकी सुनिए… ) ‘सनातन धर्म का विरोध करते रहेंगे !’ |
मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा, ”हम कई वर्षों से सनातन धर्म के संबंध में बात कर रहे है। सनातन धर्म अनेक वर्षों से हमारा एक सूत्र रहा है। हम इसका सदैव विरोध करेंगे।
मैंने कुछ त्रुटिपूर्ण नहीं कहा ! – स्टालिनमैंने कुछ भी त्रुटिपूर्ण नहीं कहा। मुझे विश्वास है कि मुझे अपने वक्तव्य के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना करना पडेगा।’ कार्रवाई के डर से मैं अपना वक्तव्य नहीं बदलूंगा। मैंने अपनी सोच प्रस्तुत की है। मैंने वही कहा है जो अंबेडकर, पेरियार और तिरुमावलवन् ने कहा था। सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से करने वाले तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने इससे अधिक कुछ नहीं कहा। |
संपादकीय भूमिकाजनसामान्य का विचार है कि माननीय न्यायालय को मात्र फटकार लगाकर, निंद्य कृति करने वालों इस प्रकार छोडना नहीं चाहिए, बल्कि संबंधित पुलिस के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने और आरोपियों को बंदी बनाने का आदेश भी देना चाहिए ! |