बच्चों के लालन-पालन से संबंधित चुनौतियों का सामना करने में तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सनातन के नए ग्रंथ सहायक सिद्ध होंगे ! – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, हिन्दू जनजागृति समिति
कतरास (झारखंड) – ‘अभिभावक बनने के लिए विशेष कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती; परंतु अच्छा अभिभावक कैसे बनना है ?, यह सीखना महत्त्वपूर्ण है । यह एक कला है । आपके मार्गदर्शन में आपका बच्चा आगे जाकर एक आदर्श नागरिक बनकर देश को शांति एवं समृद्धि की दिशा में ले जा सकता है । ‘आदर्श अभिभावक कैसे बनें ?’ ग्रंथ अभिभावकों को इस आधुनिक विश्व में बच्चों के लालन-पालन से संबंधित चुनौतियों का सामना करने में तथा बच्चों का सर्वांगीण विकास करने में सहायक सिद्ध होगा ।’ हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने यह मार्गदर्शन किया ।
हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा कतरास के सरस्वती शिशु मंदिर, श्यामडीह में ‘आदर्श अभिभावक कैसे बनें ?’ विषय पर मार्गदर्शन आयोजित किया गया था । इस अवसर पर सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी के करकमलों से सनातन के ग्रंथ ‘आदर्श अभिभावक कैसे बनें ?’ का लोकार्पण किया गया । इस अवसर पर कतरास के प्रसिद्ध उद्योगपति, सरस्वती शिशु मंदिर के अध्यक्ष तथा सनातन संस्था के संत पू. प्रदीप खेमकाजी की वंदनीय उपस्थिति थी । इस अवसर पर सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने बच्चों के आहार, टीका, खिलौने, पुस्तकें, खेल एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होनेवाले कार्यक्रमों का चयन कैसे करना चाहिए ? तथा बच्चों को कैसे अनुशासित करें ?; इस विषय में मार्गदर्शन किया ।
इस कार्यक्रम में विद्यालय के सचिव श्री. विक्रम कुमार राजगडिया, प्राचार्य श्री. अभिमन्यु कुमार, समिति के पूर्वाेत्तर भारत एवं पूर्वी राज्य समन्वयक श्री. शंभू गवारे सहित पहली से छठी कक्षा तक के छात्रों के अभिभावक उपस्थित थे । प्राचार्य श्री. अभिमन्यु कुमार तथा समिति के श्री. शंभू गवारे ने इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया ।
बच्चों का व्यक्तित्व अच्छा बनने के लिए प्रार्थना करें ! – पू. प्रदीप खेमकाइस असवर पर सनातन संस्था के पू. प्रदीप खेमकाजी ने कहा, ‘‘शास्त्र में बालक को भगवान विष्णु का अंश मानने के लिए कहा गया है । उनके निरंतर विकास के लिए उन्हें शुक्ल पक्ष की चंद्रमा जैसा आवश्यक शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक बल मिले, साथ ही उनकी बढती आयु के साथ ही उनके मन में माता-पिता, संबंधियों, साथ ही शिक्षकों के प्रति प्रेम एवं सम्मान बढे; इसके लिए भगवान से प्रार्थना करें ।’’ |
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