हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की नेपाल यात्रा
यू ट्यूब चैनल स्वधर्म टी.वी. की ओर से ‘अध्यात्म’ विषय पर सदगुरु डॉ. पिंगळेजी से भेंटवार्ता
काठमांडू (नेपाल) – हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी नेपाल के काठमांडू, पोखरा, बुटवल, दांग एवं बीरगंज के विभिन्न हिन्दुत्वनिष्ठों तथा हिन्दू संगठनों के पदाधिकारियों से मिले ।
यू ट्यूब चैनल ‘स्वधर्म टीवी’ के श्री. सुवास आगम ने जिज्ञासापूर्वक अध्यात्म के विषय में जनमानस की शंकाएं पूछकर सदगुरु डॉ. पिंगळेजी से भेंटवार्ता की ।
इसके अंतर्गत उन्होंने ‘हिन्दू विद्यापीठ नेपाल ’ के श्री. भोलानाथ योगी, श्री कालीगण्डकी ज्ञान विज्ञान प्रतिष्ठान के श्री. चैतन्य कृष्णजी, विश्व हिन्दू महासंघ, नेपाल के सह-अध्यक्ष श्री. शंकर खराल; अधिवक्ता बेन बहादुर पौडेल, त्रिचंद्र विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. गोविंद शरण, त्रिभुवन विश्वविद्यालय के प्राध्यापक निरंजन ओझा, आदित्य वाहिनी के श्री. दर्शन पनेरू, नेपाली सेना स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान के फॉर्माकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सम्मोदाचार्य कौडिण्य; लीडरशिप अकादमी के श्री. संतोष शाह, नेपालका लागी नेपालीज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. संतोष पटेल; शिवसेना नेपाल के श्री. त्रिलोक श्रेष्ठ; लोकतांत्रिक समाजवादी दल के श्री. मनीष मिश्रा; नेपाल ज्योतिष परिषद के संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य श्री. लोकराज पौडेल; ज्योतिषाचार्य श्री. लक्ष्मण पंथी; विश्व हिन्दू युवा छात्र संगठन के चेयरमैन महेंद्र जंगसहा; ऋषिकेश जंगसहा; हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. प्रेम कैदी आदि विभिन्न हिन्दुत्वनिष्ठों से भेंट की । इस अवसर पर कुछ हिन्दुत्वनिष्ठों ने बैठकों का भी आयोजन किया ।
कार्य करने हेतु मन, बुद्धि एवं ज्ञान का अधिष्ठान होना आवश्यक है ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी
काठमांडू (नेपाल) – ‘हिन्दू धर्म पर हो रहे आक्षेप एवं उनके खंडन के विषय में हमारा अध्ययन होना चाहिए । कार्य करने के लिए मन, बुद्धि एवं ज्ञान का अधिष्ठान होना आवश्यक है । ज्ञानयुक्त युवक ही संघर्ष के लिए तैयार होता है । कार्य करने के लिए मन, बुद्धि एवं ज्ञान का अधिष्ठान होना आवश्यक है ।’ ऐसा प्रतिपादन सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने बैठक में उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन करते हुए किया । यहां के श्री. प्रेम कैदी ने विश्व हिन्दू युवा छात्र संगठन के चेयरमैन महेंद्र जंगसहा तथा अन्य कुछ सदस्यों के साथ बैठक का आयोजन किया ।
आगे उन्होंने कहा कि ‘कोई भी आज के समय में हिन्दू व्यक्ति वामपंथी संघर्ष में फंस जाता है; क्योंकि हिन्दुओं का धर्म का अध्ययन ही नहीं है । हमारे केवल दो ही नैरेटिव होने चाहिए – एक धर्म का अर्थात हम एक हैं तथा दूसरा है राष्ट्र का, जिसमें हमें एकत्रित होकर कार्य करना है ।
काठमांडू (नेपाल) – यहां ‘काठमांडू विश्वविद्यालय’ में नए पाठ्यक्रम ‘योगिक साईंस’ का आरंभ करने की अगवानी करनेवाले श्री. अनंत रिजाल के अनुरोध पर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने धूलिखेल के ‘काठमांडू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय’ का अवलोकन किया । इस अवसर पर नए पाठ्यक्रम ‘बैचलर ऑफ योगिक साईंस’ के छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने कहा कि हम अनादि अंत के ज्ञान से (अर्थात ‘मैं आत्मा हूं’, इस ज्ञान से) दूर हैं, यही मूल समस्या है । ‘मैं कौन हूं ?’, इसकी खोज करनेवाले छात्र को छुट्टी नहीं मिलती । उसे निरंतर सीखने की स्थिति में रहना पडता है । ‘जो अनादि अनंत है’, उसका जब उसे ज्ञान होता है, तभी जाकर यह यात्रा पूर्ण होती है ।