पुस्‍तक में जानकारी दी है, ‘पुराणकाल में भारत में विमान एवं अन्‍य वाहन आकाश में उडते थे’ !

‘चंद्रयान-३’ अभियान की सफलता छात्रों को बताने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) ने प्रकाशित की पुस्‍तक !

नई देहली – राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) ने कुछ दिन पूर्व ही एक पुस्‍तक को प्रकाशित कर ‘चंद्रयान-३’ अभियान को प्राप्‍त हुई सफलता छात्रों को बताने का प्रयास किया है । इस पुस्‍तिका में हिन्‍दू धर्म के पुराणों का संदर्भ दिया गया है । इसमें कहा गया है कि ‘पुराणकाल में विमान एवं अन्‍य वाहन उडते थे ।’

चंद्रयान अभियान की सफलता विद्यालय एवं महाविद्यालयों में मनाने की सूचना केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देने के उपरांत यह पुस्‍तिका प्रकाशित की गई । इस में ‘पुराणकाल से भारत में वायुयान एवं हवा में उडनेवालें वाहनों पर शोध किया गया था । इनके संदर्भ ‘विमानशास्त्र’ ग्रंथ में पाए जाते हैं । वेद भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं । उसमें देवी-देवता रथ का प्रयोग करते थे एवं रथ उड सकते थें । रथों का प्रयोग देवी-देवता पृथ्‍वी, स्‍वर्ग, अंतरिक्ष में घूमने के लिए करते थे । रावण के पुष्‍पक विमान का रामायण में उल्लेख है । इस पुस्‍तिका में ‘विश्‍वकर्मा ने पुष्‍पक विमान सूर्य के धूलीकण से निर्माण किया था’, इस विषय की जानकारी है ।

संपादकीय भूमिका 

केंद्र सरकार की शैक्षिक परिषद द्वारा इस प्रकार की पुस्‍तक प्रकाशित करना, अभिनंदनीय है ! अब इस शैक्षिक परिषद को भारत का उचित इतिहास एवं ज्ञान छात्रों को सिखाने के लिए अपने पाठ्यपुस्‍तकों में भी परिवर्तन करना आवश्‍यक है !