(अब इनकी सुनिए…) ‘हिन्दू धर्म में वेश्या के पुत्र को शूद्र कहते हैं ।’ – प्राध्यापक के.एस. भगवान
प्राध्यापक के.एस. भगवान का द्वेषपूर्ण विधान !
मैसुरू (कर्नाटक) – यहां ‘महिषा दशहरा नियोजन समिति’ को सार्वजनिक कार्यक्रम की अनुमति न देकर केवल समुदाय भवन के भीतरी क्षेत्र में कार्यक्रम करने की अनुमति दी गई थी । ‘महिषा उत्सव’ के नाम पर संपन्न इस कार्यक्रम में हिन्दू धर्म के संबंध में अपमानकारक आलोचना की गई । इसमें अग्रणी प्रा. के.एस. भगवान थे । हिन्दू धर्म में वेश्या के पुत्र को शूद्र कहते हैं, ऐसा द्वेषपूर्ण विधान प्रा. भगवान ने किया ।
प्रा. भगवान ने कार्यक्रम में कहा,
१. ‘ब्राह्मणों को लगता है कि ईश्वर ने ब्राह्मणों की सेवा करने के लिए शूद्रों की निर्मिति की है । सर्व शूद्रों को ब्राह्मणों का गुलाम माना जाता है । ऐसा धर्म हमें नहीं चाहिए ।’ (एक ही वर्ण का और कितने वर्ष प्रा. भगवान जैसे लोग द्वेष करते रहेंगे ? – संपादक)
२. गौतम बुद्ध ने अग्निपूजा पर प्रश्न उपस्थित किया था । उन्होंने कहा था ‘अग्निपूजा का कोई उपयोग नहीं है ।’ इसलिए राजा-महाराजाओं ने अग्निपूजा रोक दी । इसीलिए बुद्ध को देखते ही ब्राह्मण क्रोधित हो जाते हैं । आज भी वह द्वेष वे आगे ले जा रहे हैं । ब्राह्मण हवन करते समय अग्नि में बरगद के वृक्ष की समिधा डालते हैं; क्योंकि बुद्ध को वटवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था । (ऐसी खोज के लिए प्रा.भगवान को अभी तक किसी ने पारितोषिक क्यों नहीं दिया, इसका ही आश्चर्य लगता है ! – संपादक)
३. ब्राह्मणों के संप्रदाय अर्थहीन हैं । उनका कोई अर्थ नहीं है । बुद्ध ने ज्ञान दिया । वैदिक लोग समाज को अज्ञान दे रहे हैं । (कौन अज्ञान दे रहा है, यह समाज के ध्यान में आ रहा है ! – संपादक)
४. जनेऊ से जाति पहचानते हैं । हिन्दू धर्म हमारा धर्म नहीं है । ब्राह्मण और वैदिक अलग देश से आए हैं । (यह कहीं भी सिद्ध नहीं हुआ है । तब भी प्रा. भगवान जैसे लोग अनेक वर्षाें से ‘झूठ बोलो और विश्वास के साथ बोलो’ ऐसी पद्धति से बोल रहे हैं । – संपादक)
५. ईश्वर ने कोरोना क्यों नहीं रोका ? देवस्थान में होनेवाली चोरियां ईश्वर क्यों नहीं रोकते ? क्या ईश्वर ही चोर है ? (ऐसे प्रश्न प्रा. भगवान इसके लिए उत्तरदायी शासकों से क्यों नहीं पूछते ? – संपादक)
६. सभी लोग रामराज्य के संबंध में कहते हैं । वह ११ हजार वर्ष था, ऐसा कहा जाता है । वास्तव में वह ११ वर्ष ही था । राम ने गर्भवती सीता को वन में छोड दिया था । उसका क्या हुआ, यह राम ने नहीं पूछा । अश्वमेध यज्ञ के समय उसे पत्नी एवं बच्चों के संबंध में ज्ञात हुआ । १५ वर्ष पत्नी एवं बच्चों को न पूछनेवाला ये कैसा राम ? रामराज्य शूद्रों की हत्या करनेवाला राज्य था । (भगवान श्रीराम एवं माता सीता के संबंध में जानकारी समय समय पर स्पष्ट की गई है । रामायण में भी उस संबंध में बताया है । तब भी जानबूझकर इस प्रकार के प्रश्न उत्पन्न कर प्रभु श्रीराम के प्रति द्वेष फैलानेवाले प्राध्यापक भगवान के विरोध में धर्माभिमानियों को धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में उनपर कार्यवाही करने के लिए पुलिस को बाध्य करना चाहिए ! – संपादक)
संपादकीय भूमिका
|