श्राद्ध के प्रति अनुचित प्रचार कर धर्महानि न करें !
आजकल की युवा पीढी अपने माता-पिता की अनदेखी करती है । सनातन धर्म द्वारा देव, ऋषि, पितृ एवं समाज, ये ४ ऋण बताए गए हैं । अतः हिन्दुओं की पिछली पीढियां ये ऋण उतारने का प्रयत्न करती हैं । तथाकथित आधुनिकता के नाम पर हमने नई पीढी को धर्म से दूर रखा तथा उन्हें धर्म की शिक्षा भी नहीं दी । अतः आज माता-पिता ही नहीं, अपितु नई पीढी स्वार्थ त्याग कर अन्य कर्तव्य के प्रति भी सतर्क नहीं है । माता-पिता की सामर्थ्य के कारणों में से दुर्दशा का यह भी एक कारण है । माता-पिता की अनदेखी करनेवाली इस युवा पीढी के लिए सामाजिक माध्यमों पर ‘श्राद्ध नहीं किया, तो भी चलता है; किंतु जीवित माता-पिता की चिंता करें’, ऐसे आधे-अधूरे सुझाव दिए जाते हैं । जीवित माता-पिता की चिंता करना ही चाहिए; किंतु उनके पश्चात उनकी आगे की यात्रा सुखकर हो, इसलिए श्राद्धपक्ष एक विधिवत शास्त्रीय विधान है । अतः ‘धर्म का थोडा भी अध्ययन किए बिना श्राद्ध न करें’, ऐसे सुझाव देनेवाले लेख प्रसारित करने से हमें अपने आप को प्रतिबंधित करना होगा, अन्यथा धर्महानि के लिए स्वयं उत्तरदायी होंगे ।
आज तथाकथित आधुनिकतादी श्राद्ध एवं हिन्दू परंपरा के विषय में कोई अध्ययन न होते हुए भी अनर्गल वक्तव्य देते रहते हैं । किंतु विदेश के लोग श्राद्ध का शास्त्रीय महत्त्व ध्यान में रखकर भारत में आकर श्राद्ध कर रहे हैं । उनमें हॉलीवुड अभिनेता सिलवेस्टर स्टेलोन तथा कुछ दिन पूर्व ही रूस एवं यूक्रेन की अधिकांश महिलाओं ने भारत में आकर श्राद्ध किया । अत: हिन्दुओं को तथाकथित आधुनिकतावादियों की अनदेखी कर श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करना चाहिए ।
– श्री. आनंद जाखोटिया, मध्यप्रदेश । (११.१०.२०२३)