विवस्त्र जुलूस निकाली गई कुकी महिलाओं को मैतेइयों ने ही बचाया ! – बिरेन सिंह, मुख्यमंत्री, मणिपुर
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इंफाल (मणिपुर) – मैतेई और कुकी समुदाय में सुसंवाद फिरसे आरंभ होने के लिए सर्वोच्च प्रधानता देना, साथही मणिपुरी नागरिकों में आत्मविश्वास एवं सुरक्षितता की भावना निर्माण करना, मेरे सामने बडी चुनौति है । राज्य में हुआ हिंसाचार ‘वांशिक संघर्ष’ नहीं था । अमली पदार्थ और अनधिकृत स्थलांतर को रोकने के लिए राज्य सरकार ने जो संघर्ष आरंभ किया, उसी कारण से हिंसाचार आरंभ हुआ, ऐसा महत्त्वपूर्ण वक्तव्य राज्य के मुख्यमंत्री एन्. बिरेन सिंह ने दिया है । एक समाचारपत्रिका से वार्तालाप करते समय उन्होंने यह भूमिका प्रस्तुत की ।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि,
१. (इसाई) कुकी समुदाय के २ महिलाओं की विवस्त्र जुलूस निकाले जाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई । वास्तव तो यह था कि (हिन्दू) मैतेई लोगों ने ही उन महिलाओं को बचाकर अपने घर सुरक्षित पहुंचाया था । साथही मैतेइयोंने ही घर से बाहर निकलकर आरोपियों को ढूंढा और पुलिस के स्वाधीन किया । इसलिए मैतेई लोगों की भी प्रशंसा की जानी चाहिए । इस घटना में जिन लोगों ने विकृत अपराध किया, उनका भी मैंने तीव्र शब्दों में निषेध किया है ।
२. ‘मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई समुदाय का अंतर्भाव अनुसूचित जातियों में करने का निर्णय दिया, इसलिए राज्य में हिंसाचार आरंभ हुआ’, ऐसी एक संभावना बताई जा रही थी; परंतु इसमें तथ्य नहीं है । उच्च न्यायालय के निर्णय पर सरकार ने वैसा कोई आदेश भी नहीं दिया है । अतः कुकी समुदाय को आक्रोश करने का कोई कारण नहीं है ।
३. हिंसाचार आरंभ होने के पहले ‘राज्य सरकार को तनाव निर्माण हो रहा है, इसका अनुमान लगाना संभव क्यों नहीं हुआ ?’, इस प्रश्न पर मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि जिस दिन आदिवासी समुदाय की ओर से ‘एकता मोर्चा’ निकाला गया था,तभी पुलिस महासंचालक को संवेदनशील जिलों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था । दुर्भाग्यवश पुलिस महासंचालक ने (हिंसाचार हुए) चुराचंदपुर जिले को सुरक्षा प्रदान नहीं की । इसका मुझे बाद में पता चला । हिंसाचार के संदर्भ में केंद्रशासन ने न्यायिक पूछताछ करने का आदेश दिया है । इसलिए मैं इस प्रकरण पर अधिक बोलना नहीं चाहूंगा ।
४. केंद्र सरकार का मुझे पूरा समर्थन है और उसका मुझपर विश्वास भी है ।
५. वर्ष २०१८ में भारत और म्यानमार में ‘मुक्त संचार व्यवस्था’ आरंभ की गई । इससे आदिवासियों को भारत-म्यानमार देशों की सीमा में बिना वीजा के १६ किलोमीटर तक यात्रा करने की स्वतंत्रता प्राप्त हुई । ऐसा नहीं करना चाहिए था । यदि म्यानमार के नागरिक यहां आकर स्थायी रूप से बस गए अथवा वापस नहीं गए, तो उसकी जानकारी कौन रखेगा ? यदि वे वापस नहीं गए होंगे, तो उनपर कार्यवाही कौन करेगा ? ऐसे अनेक प्रश्न निर्माण हुए । बाहरी देशों से आए लोगों को मैं वापस भेजनेवाला हूं, इस भय से उन्होंने ही मेरे विरुद्ध द्वेष फैलाया ।
मैं मैतेई हूं, इसलिए ‘अनुचित अर्थ निकाला नहीं जाए’, इसलिए मैंने मैतेई सुमदाय के पीडितों की भेंट नहीं की ! – मुख्यमंत्री सिंहक्या तेलंगाना के ईसाई मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी कभी ऐसा विचार करते हैं ? बंगाल की हिन्दू मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो खुलकर अत्याचारी मुसलमानों का समर्थन करती है । इसलिए हिन्दुओं को भी लगता है कि एन्. बिरेन सिंह को भी तत्त्वनिष्ठ रहकर पीडित मैतेई समाज का सांत्वन करना चाहिए ! ‘आपने पीडित परिवारों की भेंट क्यों नहीं की ?’, इस प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कुकी समुदाय के पीडित परिवारों की भेंट कर मुझे उन्हें आधार देना था; परंतु उसके लिए मुझे अनुमति नहीं दी गई । यदि मैं मैतेई समुदाय के पीडितों से मिलता, तो कदाचित इससे और भी अनुचित अर्थ निकाला जाता । लोग कहते कि, ‘देखो, मैतेई है इसलिए मैतेइयों की ही भेंट की !’ |
संपादकीय भूमिका
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