रात की नींद पूर्ण होनी चाहिए !
‘कुछ लोग रात देर तक जागरण करते हैं और पुन: सवेरे भी शीघ्र उठते हैं । कभी-कभी यह ठीक है; परंतु सदैव ही ऐसा करने पर उसका शरीर पर गंभीर दुष्परिणाम हो सकता है । रात की नींद पूरी न हो, तो दिनभर नींद आती रहती है अथवा दोपहर को सोना पडता है । रात की नींद पूरी होना अत्यंत आवश्यक है । सामान्यत: प्रत्येक के लिए ६ से ८ घंटे, रात की नींद आवश्यक होती है । दिनभर में शरीर का जो क्षय होता है, उसकी भरपाई रात की नींद में होती है । यह नींद ठीक से न होने पर कालांतर में हृदयविकार, पक्षाघात का झटका आना, मधुमेह (डायबिटीज), अंतस्रावी ग्रंथियों (हार्माेन) के विकार, विस्मरण जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं । साधना करने के लिए भी स्वस्थ रहना आवश्यक है । इसलिए प्रत्येक को अपनी दिनचर्या का नियोजन ऐसे करना चाहिए, जिससे रात की नींद पूर्ण हो ।’ – वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (५.९.२०२३)
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