मंदिरों का सरकारीकरण कर उनका संचालन करनेवाली तमिलनाडु की सरकार क्या ‘सनातन धर्म’ के मंदिरों को भी नष्ट करेगी ? – गायत्री एन., संस्थापिका, ‘भारत वॉइस’
हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद : ‘क्या सनातन धर्म डेंगू एवं मलेरिया की भांति नष्ट होगा ?’
मुंबई (महाराष्ट्र) – स्वयं को ईसाई माननेवाले तमिलनाडु के खेलमंत्री उदयनिधि स्टालिन को सनातन धर्म मिटाना है; परंतु द्रविड विचारधारा पर चलनेवाली तमिलनाडु सरकार वहां चल रहे जातिवाद को नहीं मिटा पाई है, इसके विपरीत वह अधिक बढ गया है । आज वहां का हिन्दू असहाय हो चुका है । तमिलनाडु में अतिक्रमण के नाम पर हिन्दुओं के प्राचीन मंदिर तोडे जा रहे हैं; परंतु चर्च अथवा मस्जिदों को हाथ भी नहीं लगाया जा रहा । द्रमुक सरकार को हिन्दुओं का भेदभाव दिखाई देता है; परंतु चर्च में चल रहा भेदभाव क्यों नहीं दिखाई देता ? तमिलनाडु में मंदिरों का सरकारीकरण हो चुका है तथा वहां के मंदिरों को चलानेवाली सरकार के मंत्री सनातन धर्म को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं । ‘भारत वॉइस’ की संस्थापिका गायत्री एन. ने यह प्रश्न उठाया है कि ‘ऐसी सरकार हिन्दुओं के मंदिरों को चलाएगी या उन्हें नष्ट करेगी ? हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘क्या सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों की भांति नष्ट होगा ?’ विषय पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रही थीं । समिति के देहली प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे ने वक्ताओं से संवाद किया ।
उदयनिधि स्टालिन सहित अन्य दोषियों पर कार्यवाही करें ! – शंभू गवारे, पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति
सनातन धर्म के विषय में द्वेषमूलक वक्तव्य करने के उपरांत भी उदयनिधि स्टालिन के विरुद्ध तमिलनाडु में एक भी अपराध प्रविष्ट नहीं किया जाता । वास्तव में देखा जाए, तो उदयनिधि ने संपूर्ण देश के करोडों हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत की हैं । ऐसा होते हुए भी उदयनिधि के आपत्तिजनक व्यक्तव्य का विरोध करनेवाले, साथ ही आंदोलन चलानेवाले हिन्दुओं एवं हिन्दू संगठनों पर अपराध प्रविष्ट कर उन्हें बंदी बनाया जा रहा है । यह अत्यंत पीडादायक है । इस आंदोलन का संज्ञान लेकर उदयनिधि स्टालिन एवं अन्य दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए, यह हमारी मांग है ।
सत्ता के लालच में सनातन धर्म की आलोचना ! – जे.के., पूर्व समाचार उद्घोषक, ‘पी गुरुज् होस्ट’ मेगा टीवी
द्रमुक (द्रविड मुन्नेत्र कळघम् अर्थात द्रविड प्रगति संघ) दल की द्रविड संस्कृतिवाली विचारधारा सनातन-विरोधी है । उसके चलते उन्होंने पहले ब्राह्मणों का विरोध किया तथा हिन्दू देवताओं की मूर्तियां तोडकर देवताओं का अनादर किया । द्रमुक के नेताओं को ऐसा लगता है कि यह सब करने से उन्हें सत्ता मिली है । ‘सनातन धर्म नष्ट होना चाहिए’, ऐसा वक्तव्य करना भी इस विरोध का ही एक अंश है । अब हिन्दुओं को संगठित होकर इसका विरोध करना चाहिए । द्रमुक समर्थक भारत के स्वाधीनता दिवस को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाते हैं । वे तमिलनाडु पर ब्रिटिश-राज लाने के इच्छुक हैं । विरोधी दलों ने राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A.) नामक गठबंधन बनाया है । उसमें लोकसभा की सर्वाधिक सीटें अपने नाम कर लेना तथा उसके उपरांत इस गठबंधन में प्रधानमंत्री पद पर दावा करने की दृष्टि से भी ऐसे वक्तव्य किए जा रहे हैं ।