सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
सनातन संस्था के आश्रमों की अद्वितीयता !
‘समाज में कार्यालय में और अन्यत्र अहंकार, झूठ बोलना, भ्रष्टाचार इत्यादि का अनुकरण किया जाता है; जबकि सनातन के आश्रमों में अच्छे गुणों का अनुकरण किया जाता है !’
साधना करने की अति आवश्यकता !
‘संकट के समय सहायता हो, इसलिए हम अधिकोष (बैंक) में धन रखते हैं । उसी प्रकार संकट के समय सहायता हो, इसलिए साधना का धन हमारे पास होना आवश्यक है ।’
परिवार के सदस्यों का भ्रष्टाचार उजागर करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य ही है !
‘युवाओ, आपके माता-पिता भ्रष्टाचार कर पाप कर रहे हों, तो उन्हें आगामी पापों से दूर रखने के लिए उनके भ्रष्टाचार उजागर करें और अपनी राष्ट्रभक्ति बढाएं । पति का भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण इत्यादि उजागर करना पत्नी का भी राष्ट्र से संबंधित कर्तव्य है ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले