सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

देश इसी कारण दुर्दशा की उच्चतम सीमा तक पहुंच गया है !

‘सुख पाने से जुडी सभी बातें सिखानेवाले माता-पिता और सरकार बच्चों को अच्छा एवं सात्त्विक कुछ नहीं सिखाते । इस कारण देश दुर्दशा की उच्चतम सीमा तक पहुंच गया है । इसका एक ही उपाय है और वह है हिन्दू राष्ट्र की स्थापना !’


ईश्वरीय कानून एवं जमा खर्च का महत्त्व !

‘पृथ्वी के कानून और जमा-खर्च आदि सब व्यर्थ हैं । अंत में प्रत्येक को ईश्वरीय कानून एवं जमा-खर्च इत्यादि का सामना करना पडता है ।’


हिन्दू धर्म की सीख को अनुचित कहनेवाले बुद्धिप्रमाणवादियों का हिन्दूद्रोह !

‘कुछ पंथ पैसे देकर अथवा धमकी देकर अन्य लोगों को अपने पथ में लाते हैं । इसके विपरीत हिन्दू धर्म की अद्वितीय सीख के कारण लोग उसे अपनाते हैं । तब भी बुद्धिप्रमाणवादी हिन्दू धर्म की सीख को अनुचित कहते हैं !’


अन्य धर्मियों एवं हिन्दुओं के ध्येय में भेद !

‘अन्य धर्मियों का ध्येय होता है ‘दूसरे धर्म के लोगों पर वर्चस्व स्थापित करना ।’ जबकि हिन्दुओं का ध्येय होता है, ईश्वरप्राप्ति !’


बुद्धिप्रमाणवादियों द्वारा चुकाया जानेवाला मूल्य !

‘जो बुद्धिप्रमाणवादी ऐसा कहते हैं कि ईश्वर नहीं है, क्या उन्हें कभी उस निरंतर आनंद की अनुभूति होगी, जो भक्तों को होती है ?’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले