(और इनकी सुनिए …) ‘मंदिर में कुछ लोगों को शर्ट उतार कर प्रवेश देना, अमानवीय प्रथा है ।‘ देवता के सामने सब समान होते हैं । – कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या

कर्नाटक कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या का वक्तव्य !

बेंगलुरू (कर्नाटक) – समाज सुधारक नारायण गुरु की १६९ वींवी जयंती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था । उस समय कर्नाटक कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा ‘एक बार मैं केरल के एक मंदिर में गया था । वहां उन्होंने मुझे शर्ट उतारकर अंदर प्रवेश करने के लिए कहा; किंतु मैंने मंदिर में प्रवेश करने से अस्वीकार कर दिया । साथ ही उन्हें कहा कि मैं बाहर से ही प्रार्थना करूंगा । उन्होंने पंक्ति में खडे प्रत्येक व्यक्ति को शर्ट उतार कर आने के लिए नहीं कहा । कुछ लोगों को ही शर्ट उतारकर आने के लिए कहा । यह प्रथा अमानुषिक है ।

ईश्वर के सामने सभी एक समान हैं ।’ दक्षिण भारत के अधिकांश मंदिरों में पुरुषों को शर्ट उतारकर अंदर प्रवेश दिया जाता है । उस समय पुरुषों के कंधे पर शॉल के समान कपडा रखा जाता है । यह प्रथा अनेक वर्षों से चल रही है ।

संपादकीय भूमिका 

  • प्रत्येक मंदिर के कुछ नियम रहते हैं । उनका पालन करना आवश्यक है । समाज के अनेक कार्यालयों में पृथक प्रकार के नियम होते हैं, उसका कोई भी प्रतिरोध नहीं करता । उस समय समानता क्यों नहीं आती ?
  • शास्त्र, प्रथा-परंपरा के विषय में बिलकुल अज्ञानी तथा हिन्दु धर्म पर विश्वास न रखनेवाले ही ऐसे वक्तव्य दे सकते हैं ! ऐसे लोगों की ओर कौन ध्यान देगा ?