साधना के अभाव में बुद्धिप्रमाणवादी दृष्टिहीन!
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
आंखें खोलने पर दिखाई देता है, उसी प्रकार साधना से सूक्ष्मदृष्टि जागृत होने पर सूक्ष्म आयाम का दिखाई देता है और समझ में आता है । साधना से सूक्ष्म दृष्टि जागृत होने तक बुद्धिप्रमाणवादी दृष्टिहीन होते हैं ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक