आध्यात्मिक स्तर पर भगवद्गीता का लाभ न लेनेवाला हिन्दू समाज !

१. अनेक हिन्दुओं के घर में ‘भगवद्गीता’ होते हुए भी हिन्दुओं की स्थिति विकट

‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ग्रंथ वेदों के साथ ही सर्व धर्मग्रंथों का सार है । भगवद्गीता का प्रसार सभी स्तर पर होता है एवं अनेक हिन्दुओं के घर में यह ग्रंथ है; परंतु ऐसा होते हुए भी कलियुग में हिन्दू एवं हिन्दू धर्म की स्थिति अत्यंत विकट हो गई है ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

२. भगवद्गीता के अनुसार आचरण न करनेवाले जन्महिन्दू !

समाज की स्थिति देखते हैं, तो ध्यान में आता है, ‘किसी ने भगवद्गीता पूजाघर में रखी है, किसी ने अलमारी में रखी है, तो कोई उसका पठन कर रहा है ।’ बहुत ही अल्प लोग गीता समझकर समाज में भगवद्गीता का महत्त्व विशद करने का प्रयास कर रहे हैं; परंतु ‘क्या साधना की दृष्टि से कोई गीता का अध्ययन करता है ?’, यह प्रश्न अनुत्तरित ही रहता है; क्योंकि जिनके घरों में गीता है, उनकी साधना की स्थिति अथवा घर, परिवार, समाज एवं राष्ट्र के संदर्भ में कर्तव्यपालन अथवा आचार-विचार जब भगवद्गीता की कसौटी पर जांचे जाते हैं, तब ध्यान में आता है कि ‘अत्यल्प जीव ही गीता के अनुसार आचरण कर रहे हैं ।’

३. गीता के ज्ञान का लाभ हिन्दू समाज को हो, यह दायित्व सभी का होना

‘क्या भगवद्गीता का लाभ हिन्दू बंधु ले रहे हैं ? यदि लाभ ले रहे हैं, तो उसका परिणाम क्यों दिखाई नहीं देता ? यदि लाभ नहीं लेते हैं, तो उसके पीछे क्या कारण है ? समाज को भगवद्गीता का लाभ कैसे दे सकते हैं ?’, इसका अध्ययन करने का दायित्व सभी पर है ।

४. समाज को भगवद्गीता समझने एवं आचरण करने में क्या कठिनाई लगती है ?

अ. समाज के अधिकांश लोगों को संस्कृत भाषा न आना

आ. जो संस्कृत भाषा पढना जानते हैं, उनके द्वारा भगवद्गीता का उपयोग केवल पठन के लिए करना

इ. जो संस्कृत भाषा पढ सकते हैं, उन्हें भगवद्गीता का अर्थ समझ में न आना

ई. गीता का अर्थ समझनेवाले अत्यल्प लोगों को ही साधना की दृष्टि

उ. उचित गुरु न मिलने के कारण गुरु के मार्गदर्शन का अभाव

ऊ. ‘कोई भी धर्मग्रंथ केवल वाचन अथवा पठन के लिए नहीं है; अपितु वह प्रत्यक्ष श्री गुरु के मार्गदर्शन में आचरण में लाकर जीवनोद्धार करने का मार्ग है’, इस संदर्भ में अज्ञानता

ए. ‘हम हिन्दू हैं, हमारे घर में भगवद्गीता है’, ऐसा अहंकार (उपरोक्त सभी सूत्र लागू के संदर्भ में) होना

– (सद्गुरु) डॉ. चारुदत्त प्रभाकर पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति (जनवरी २०२२)