मणिपुर हिंसाचार : एक षड्यंत्र !
३३ लाख जनसंख्यावाले मणिपुर में ५० प्रतिशत से कुछ अधिक हिन्दू, ४४ प्रतिशत ईसाई एवं अन्य सब मुसलमान तथा बौद्ध हैं । मणिपुर में वर्तमान में नागरिक युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है तथा बडी संख्या में लोग भ्रमित अवस्था में हैं । इनमें समूहों में होनेवाली मुठभेड में केवल पारंपरिक धनुष एवं बाण ही नहीं, अपितु अत्याधुनिक आयात की हुई बंदूकें, बम आदि का उपयोग एक-दूसरे के विरुद्ध किया जा रहा है । यह युद्धस्थिति क्यों है ? यह समझने के लिए मणिपुर राज्य भौगोलिक दृष्टि से दो देशों की सीमा पर स्थित है, यह ध्यान में रखना होगा ।
१. मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के कारण हिंसाचार एवं उसके पीछे का षड्यंत्र
मणिपुर राज्य के पूर्व की ओर बांग्लादेश एवं उत्तर की ओर म्यांमार है । इस प्रकार मणिपुर दो देशों की सीमा पर स्थित है । मणिपुर राज्य के कुछ लोगों का मूल स्थान म्यांमार है । कुकी एवं मैतेई वहां रहनेवाली प्रमुख वांशिक अनुसूचित जनजातियां हैं । कालांतर में अधिकांश कुकी ईसाई धर्म में धर्मांतरित हो गए हैं । कुकी जनजाति के लोग पहाडी क्षेत्र तथा मैतेई जो अधिकांश हिन्दू हैं, वे मैदानी क्षेत्र में रहते हैं । मैतेई जनजाति के लोग सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए उनकी जनजाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं । कुकी समाज को यह मांग उनकी जनजाति के प्रति भेदभाव लग रहा है । इसलिए मणिपुर में यह रक्तपात हो रहा है; परंतु यह एक कारण बताया जा रहा है । ईशान्य भारत में मेघालय, असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में भी पहाडी क्षेत्र हैं एवं उन स्थानों पर बडी संख्या में अनुसूचित जनजातियां हैं । इसलिए मणिपुर में यदि मैतेई लोगों की मांग का विरोध किया गया, तो अन्य सभी पहाडी क्षेत्रवाले राज्यों में यह आग फैल जाएगी । जिहादी घटकों के उजागर एवं गुप्त समर्थन के कारण यदि यह हुआ, तो भारत से ‘चिकन नेक’ (पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोडनेवाला बंगाल का २८ किलोमीटर लंबाईवाले प्रदेश) को तोडने का उनका स्वप्न वे साकार कर पाएंगे ।
२. मणिपुर और ईशान्य दिशा के राज्यों के राष्ट्रविरोधी संगठनों को केंद्र सरकार द्वारा नष्ट करना आवश्यक !
वर्ष २०१४ में जब से केंद्र में हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार आई है, तब से जिहादी गुट एवं ईसाई मिशनरियों की बेचैनी दिखाई दे रही है । ‘प्रोग्रेसिव फ्रंट ऑफ इंडिया’ जैसे आतंकवादी एवं विघटनवादी संगठन तथा ईसाई मिशनरियों ने खोले हुए धर्मांतरण के सैकडों कारखाने एवं विदेशों से आनेवाली निधि मिलने की अनुज्ञप्ति निरस्त कर उनका स्थान दिखाया गया । केंद्र सरकार के केंद्रीय गुप्तचर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग द्वारा काला धन संग्रहित करनेवालों को लक्ष्य किया गया । जम्मू एवं कश्मीर में भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद ३७० एवं ३५ अ (जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देनेवाले अनुच्छेद) निरस्त किए गए । इन सब कारणों से भारत के राष्ट्रविरोधी संगठन भ्रमित अवस्था में हैं । यह सब देखते हुए केंद्र सरकार के सक्रिय तंत्रों को एक-दूसरे के सहयोग से मणिपुर एवं अन्य ईशान्य दिशा के राज्यों में कार्यरत हिंसक गुटों को कुचलना चाहिए ।
३. रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ के संबंध में सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय द्वारा स्वयं निर्णय लेना महत्त्वपूर्ण
भारत में अवैध रूप से घुसपैठ किए हुए रोहिंग्या मुसलमानों का जाल तोडकर उस पर ठोस उपाययोजना करनी चाहिए । प्रसार माध्यमों की जानकारी अनुसार भाग्यनगर (हैदराबाद) में ७ लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान हैं । उन्हें राज्य सरकार ने आधारकार्ड, राशनकार्ड जैसे परिचय पत्र देकर वैध बनाया है । चुनाव में मत प्राप्त करने की यह नीति होगी; परंतु ऐसा करना अत्यंत बुरा राष्ट्रविरोधी कृत्य है । सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय को अब जागृत होकर इस संबंध में ‘त्स्युमोटो’ (न्यायालय द्वारा स्वयं ही) याचिका प्रविष्ट कर भारत की संप्रभुता एवं एकात्मता बनाए रखने के लिए निर्णय लेना चाहिए ।
४. राष्ट्रीय सुरक्षा दल, सुरक्षादल एवं पुलिस अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाएं !
लोकतंत्र में सरकार आती है और जाती है; परंतु राष्ट्र स्थायी रहता है । अपने राजनीतिक लाभ के लिए सरकारें ऐसी गंभीर परिस्थिति की उपेक्षा करती होंगी; परंतु राष्ट्रीय सुरक्षा दल, सुरक्षादल एवं पुलिस को भरती के समय राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध रहने की ली हुई शपथ कभी भूलनी नहीं चाहिए । संक्षेप में, चयनित सरकार के अच्छे लोग जनता की मालमत्ता एवं जीवन की सुरक्षा करने का कर्तव्य पूर्ण करें ।
लेखक : अधिवक्ता डॉ. एच.सी. उपाध्याय, भाग्यनगर, तेलंगाना.