साक्ष्यों (गवाहों) से कहा, हिन्दी  राष्ट्रीय भाषा है, इसलिए न्यायालय में हिन्दी में ही बोलना आवश्यक  !

सर्वोच्च न्यायालय का महत्त्वपूर्ण  निर्देश

नर्ई देहली – हिन्दी  राष्ट्रीय भाषा है एवं साक्ष्यों को न्यायालय में साक्ष्य देते समय हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए, एक प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय  ने ऐसा निर्देश दिया । न्यायालय के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त ने कहा कि यदि साक्ष्य अन्य राज्य से हो, तब भी उनको हिन्दी में ही साक्ष्य देनी चाहिए । हमारा देश विविधतापूर्ण है । इस देश में भिन्न भिन्न भाषाओं का प्रयोग होता हैं । देश में लगभग २२ अधिकृत भाषाएं हैं । ऐसा भले ही हो, तो भी हिन्दी  राष्ट्रीय भाषा होने के कारण साक्ष्यों को हिन्दी में ही अपनी साक्ष्य देना अपेक्षित है ।

याचिकाकर्ता ने याचिका प्रविष्ट की थी कि उत्तर प्रदेश के वाहन दुर्घटनाओं के प्राधिकरण के सामने का एक प्रकरण सुनवाई के लिए बंगाल राज्य  में जाना चाहिए । उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद  के प्राधिकरण के सामने यह प्रकरण चालू है । यह प्रकरण बंगाल के दार्जीलिंग में सुनवाई के लिए भेजा जाए, ऐसी याचिका प्रविष्ट की गई थी । याचिकाकर्ता का कहना था कि सभी साक्ष्य सिलिगुडी के हैं तथा फर्रूखाबाद के प्राधिकरण के सामने यदि यह प्रकरण चलता है, तो उसमें भाषा की अडचनें निर्माण हो सकती हैं । उपरोक्त निर्देश देते हुए न्यायालय ने यह याचिका अस्वीकार  कर दी है ।