अपराध प्रविष्ट करने में देर होने का स्पष्ट ! – उच्चतम न्यायालय

मणिपुर की २ महिलाओं को निर्वस्त्र कर जुलूस निकाले जाने का प्रकरण

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड

नई देहली – भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड की अध्यक्षता में मणिपुर के प्रकरण पर १ अगस्त के दिन सुनवाई हुई । उच्चतम न्यायालय ने इस समय कहा कि ४ मई के दिन मणिपुर में २ महिलाओं को निर्वस्त्र कर जुलूस निकाले जाने के २ महा उपरांत अर्थात ४ जुलाई के दिन अपराध प्रविष्ट किया गया, यह स्पष्ट होता है । पीडितों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता निजाम पाशा ने बताया कि, केंद्रीय जांच विभाग ने पीडितों का बयान प्रविष्ट करने के लिए उन्हें बुलाया है । दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ता तुषार मेहता ने उन्हें इस संदर्भ में कोई भी जानकारी न होने की बात कही ।

इस समय मुख्य न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने मणिपुर सरकार को फटकारते हुए कहा कि, मणिपुर हिंसा प्रकरण में १-२ अपराध प्रविष्ट करने के अतिरिक्त बंदी बनाने की कार्यवाही नहीं की गई । जांच भी ऊपर ऊपर की गई । अभी तक बयान भी प्रविष्ट नहीं किए गए । न्यायालय इस प्रकरण की अगली सुनवाई ७ अगस्त के दिन करेगा और साथ ही उसने मणिपुर राज्य के पुलिस महानिरीक्षक को न्यायालय में उपस्थित रहने का आदेश दिया है ।

जुलूस निकाले जाने के दूसरे दिन ही अपराध प्रविष्ट किया गया – सरकार की भूमिका

केंद्र सरकार की ओर से बोलते हुए अधिवक्ता तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि, राज्य सरकार ने जातीय हिंसा भडकाए जाने के विरोध में अभी तक ६ सहस्र ५२३ अपराध प्रविष्ट किए हैं । निर्वस्त्र कर जुलूस निकालने के अपराध के प्रकरण में ५ मई के दिन अर्थात घटना के दूसरे दिन ही अपराध प्रविष्ट किया गया था । इस प्रकरण में १ अवयस्क आरोपी सहित ७ लोगों को बंदी बनाया गया है ।