समाज से अलग दिखे, ऐसे ढंग से न्यायमूर्ति विशेष सुविधाओं का लाभ न लें !
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने देश के सभी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्तियों को सुनाया !
नई देहली – न्यायमूर्तियों को दी जाने वाली विशेष सुविधाओं का प्रयोग उन्हें ऐसे ढंग से नहीं करना चाहिए ,जिससे कि वे समाज से अलग दिखें । ऐसी सुविधाओं का सही प्रयोग ही न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता और कानून प्रक्रिया कायम रखती है, समाज का न्यायमूर्तियों पर विश्वास कायम रहता है, ऐसे शब्दों में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने देश के सभी उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों को सुनाया । ‘न्याय व्यवस्था के अंतर्गत मूल्यमापन और समुपदेशन करना आवश्यक है । अन्यों को कष्ट हो ऐसे ढंग से विशेष सुविधाओं का प्रयोग न करें । लोगों की टिप्पणियों का कारण न बनें’, ऐसा भी उन्होंने कहा ।
‘सुविधाएं जजों का विशेषाधिकार नहीं’, देश की सभी हाईकोर्ट को सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्यों दी नसीहत? #AllahabadHighCourt @moinallahabad https://t.co/iPu34iTdyA
— ABP Ganga (@AbpGanga) July 21, 2023
मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड द्वारा देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायमूर्तियों को उद्देश्य कर लिखा पत्र सामाजिक माध्यमों से प्रसारित किया गया है । इस पत्र में मुख्य न्यायाधीश ने हाल ही में हुए प्रकरण का संदर्भ देकर न्यायमूर्तियों को उपर्यक्त शब्दों में सुनाया । कुछ दिनों पूर्व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति को रेलवे के संबंध में आए बुरे अनुभव पर उन्होंने रेलवे व्यवस्थापन को पत्र लिखकर संबंधित लोगों की ओर से स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा था । इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्याय मूर्तियों को यह पत्र लिखा है ।
मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने इस पत्र में इस प्रकरण का उल्लेख किया है । इसमें कहा है कि, रेलगाडी ३ घंटे विलंब से आई ; लेकिन बार-बार बताने पर भी न्यायमूर्ति की देख-रेख के लिए एक भी रेलवे पुलिस का अधिकारी रेलवे बोगी में नहीं था तथा उन्हें खानपान की सुविधा उपलब्ध करने के लिए रसोई विभाग के कर्मचारी भी उपस्थित नहीं थे । इसलिए पैंट्री कार (रेलगाडी का रसोई विभाग) के मुख्य व्यवस्थापक को फोन करने पर भी उसने फोन नहीं उठाया । जिससे मुख्य न्यायाधीश अत्यधिक अप्रसन्न हुए । इस कारण न्यायमूर्ति की ऐसी इच्छा है कि, आप संबंधित अधिकारियों से इस विषय पर स्पष्टीकरण मंगवाएं । यह पत्र उच्च न्यायालय के शिष्टाचार विभाग के एक अधिकारी ने रेलवे मुख्य व्यवस्थापकों को भेजा है । मूलतः न्यायालय के न्यायमूर्तियों को रेलवे अधिकारियों पर अनुशासन भंग कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है । इस कारण उच्च न्यायालय के किसी भी अधिकारी द्वारा रेलवे अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगने का प्रश्न ही नहीं उठता ।