महाविद्यालयों में देशभक्त निर्माण करने के लिए कार्यरत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद !
‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ ने ९ जुलाई को ७५ वें वर्ष में पदार्पण किया है । उसके उपलक्ष्य में …
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अवाविप) की स्थापना ९ जुलाई १९४९ को हुई । राष्ट्रवादी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ विचारधारा वाला यह संगठन विगत अनेक दशकों से शैक्षणिक एवं सामाजिक क्षेत्र में छात्रों के हितार्थ कार्यरत है । अब इस संगठन ने ७५ वें वर्ष में पदार्पण किया है । इस उपलक्ष्य में हमारे प्रतिनिधि ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. याज्ञवल्क्य शुक्ला से संवाद किया, यहां उसका वृत्तांत दे रहे हैं —
१. महाविद्यालयों में देशभक्त निर्माण करने का ‘अभाविप’का कार्य !
भारतीय विश्वविद्यालयों में देश विरोध का कोई भी स्थान नहीं है ! मूलतः हमारे देश का कोई भी विश्वविद्यालय भारत विरोधी नहीं है । कुछ विश्वविद्यालयों में जो लोग भारत विरोधी वक्तव्य देते हैं, वे प्रसार माध्यमों में अधिक लोकप्रिय बन जाते हैं । ऐसे लोगों की संख्या मुट्ठी भर ही है तथा लोगों ने उन्हें कभी का अस्वीकार भी कर दिया है । कोई उन्हें स्थान नहीं देता । उनकी दुकानदारी बंद हो रही है । मैं यह बता सकता हूं कि देहली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल में (जे.एन.यू.) आज भी बडी संख्या में देशभक्त छात्र शिक्षा ले रहे हैं । ‘वामपंथी संगठनों की नीति ही भारत की सरकारी संस्थाओं को अस्वीकार करना, भारतीय सेना को न मानना तथा भारतीय गणतांत्रिक व्यवस्था को न मानना’ है । मार्क्स एवं लेनिन उनके आदर्श हैं । उसके कारण वामपंथी भटक गए हैं । ऐसी स्थिति में ‘अभाविप’ महाविद्यालयों में देशभक्त छात्र निर्माण करने का कार्य करती है ।
२. युवा पीढी को व्यसनाधीन बनाने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र !
आज अनेक विकसित देश भारतीय युवा पीढी की प्रतिभा के प्रति भयभीत दिखाई देते हैं । उन्हें यह भय है कि विश्व के अनेक क्षेत्र भारतीय युवा पीढी के वर्चस्व में आ जाएंगे । उसके कारण ही उनकी ओर से भारत की युवा पीढी के विरुद्ध बडे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं । आज भारतीय युवा पीढी चलितभाष के अधीन हो चुकी है, यह वास्तविकता है; परंतु उनके सामने सबसे बडी चुनौती है व्यसनाधीनता की ! भारत की युवा पीढी को व्यसनाधीन बनाने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है । हमारे पडोस के देशों से उसके लिए निरंतर प्रयास होते रहते हैं । पंजाब, त्रिपुरा जैसे राज्यों की सीमाओं पर बडे स्तर पर मादक पदार्थाें की तस्करी होती हुई दिखाई देती है । नेपाल के मार्ग से भारत में मादक पदार्थाें की तस्करी होती है । आजकल मादक पदार्थाें का सेवन ‘फैशन’ बन चुका है । उसके माध्यम से युवा पीढी को ध्वस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं तथा हमारे सामने यही सबसे बडी चुनौती है, ऐसा मुझे लगता है ।
३. लव जिहाद आतंकवाद ही है !
लव जिहाद एक षड्यंत्र है । लालच, झूठ, छल-कपट तथा धोखाधडी के द्वारा लव जिहाद किया जाता है । ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म के कारण लोगों के सामने यह सच्चाई सामने आई है; यह संकट कोई सामान्य नहीं है । इसके द्वारा हमारी मातृशक्ति पर आक्रमण किया जा रहा है । मुस्लिम युवकों को सचमुच यदि प्रेम करना हो, तो उन्हें उनका मूल मुस्लिम नाम बताकर करना चाहिए । झूठ बोलकर सोनू, टिनू जैसे हिन्दू उपाख्य नाम धारण कर प्रेम नहीं करना चाहिए । वे लोग इस प्रकार झूठ बोलकर तथा धोखाधडी कर प्रेम क्यों करते हैं ? यह प्रेम नहीं, अपितु भारत की परिवार-व्यवस्था नष्ट करने का योजनाबद्ध षड्यंत्र है । इसे रोकने के लिए छात्रों में सजगता एवं जागरूकता उत्पन्न करना आवश्यक है । अभिभावकों को अपनी लडकियों पर ध्यान रखना चाहिए । अब इस्लामी धर्मगुरुओं को समाज के सामने आकर इस्लाम के नाम पर चल रहा यह दुष्कृत्य बंद करने का आवाहन करना चाहिए । लव जिहाद एक नए प्रकार का आतंकवाद है । ऐसा कृत्य करनेवालों पर सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत अपराध पंजीकृत कर उन पर कठोर से कठोर कार्यवाही करनी चाहिए । यह एक सामाजिक संकट होने से ‘अभाविप’ सहित संपूर्ण समाज को ही जागरूक रहने की आवश्यकता है ।
४. एक आंदोलन देश के लिए !
‘राष्ट्र का पुनर्निर्माण’ हमारा लक्ष्य है । सभी का विकास होना चाहिए । देश में निर्धनता एवं भेदभाव नहीं होना चाहिए । देश के सभी घटकों का विकास ही भारत का विकास है । युवक शिक्षित होने चाहिए तथा उन्हें उपजीविका (रोजगार) भी मिलनी चाहिए । आत्मगौरव से युक्त युवा पीढी की निर्मिति होनी चाहिए । ‘अभाविप’ के ये ७५ वर्ष भारत के विकास एवं भारतीय नागरिकों को समर्पित हैं । उसके लिए ‘एक आंदोलन देश के लिए’, हमारी भूमिका है ।
युवा पीढी के बल पर ही भारत विश्वगुरु बनेगा !भारत के बनने में युवकों का बडा योगदान रहा है । आज के समय में सामाजिक, विज्ञान-प्रौद्योगिकी आदि सभी क्षेत्रों में प्रतिभावान युवा पीढी कार्यरत है । युवकों में काम करने की गति एवं उत्साह प्रचुर मात्रा में होता है । आज की युवा पीढी समस्याओं पर केवल चर्चा ही नहीं करती, अपितु उनका समाधान भी ढूंढती है, तथापि वह भटक न जाए; इसके लिए उनके सामने उचित आदर्श रखे जाने चाहिए, साथ ही समय-समय पर उनका दिशादर्शन भी किया जाना चाहिए; क्योंकि इस युवा पीढी के बल पर ही भारत विश्वगुरु बनेगा ! |