लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में हिन्दू राष्ट्र का आश्वासन देनेवालों का ही हिन्दू समर्थन करेंगे ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति
रामनाथी, फोंडा, गोवा – वर्ष २०२४ में होनेवाले आगामी लोकसभा चुनाव में भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना, संपूर्ण भारत में गोहत्याबंदी एवं धर्मांतरणबंदी के कानून बनाना, हिन्दुओं के देवी-देवताओं एवं आस्था के केंद्रों की आलोचना अथवा उनका अनादर करनेवालों पर कठोर कार्यवाही करने का कानून लाना, वक्फ एवं फ्लेसेस ऑफ वर्शिप कानूनों को रद्द करना तथा देश की बाह्य एवं आंतरिक रक्षा करना आदि हिन्दूहित की मांगों का चुनावी घोषणापत्र में समावेश कर उन्हें पूर्ण करनेवाले जनप्रतिनिधि को हिन्दुओं का समर्थन रहेगा, सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी द्वारा किए गए इस आवाहन का हिन्दुत्वनिष्ठों ने ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ के नारे के साथ अनुमोदन किया । सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी यहां चल रहे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के चौथे दिन ‘वर्ष २०२४ के चुनाव में हिन्दुओं की भूमिका’ विषय पर ऐसा बोल रहे थे ।
इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने आगे कहा,
१. हिन्दुओं का राजनीतिक दृष्टि से जागरूक न होना ही हिन्दुओं की पराजय का कारण है । जागरूक, क्रियाशील एवं संगठित नागरिक ही लोकतंत्र की शक्ति है । अतः स्वदेश, स्वतंत्रता एवं समाजव्यवस्था के प्रति हिन्दुओं का अज्ञान, स्वार्थ एवं असंगठितता इन पर कार्य करने की आवश्यकता है ।
२. राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र जारी करते हैं, उसी आधार पर अब हिन्दुओं को संगठित रूप से हिन्दूहित की मांगों का घोषणापत्र बनाकर मत मांगने के लिए घर आनेवाले प्रत्याशियों से उनमें समाहित मांगें करनी चाहिए ।
३. आगामी लोकसभा चुनावों का सामना करने से पूर्व हिन्दुओं को भारत में बहुदलीय लोकतांत्रिक पद्धति कैसे आरंभ की गई ? इसके पीछे क्या भारत को तोडने का यूरोपीय देशों का तथा ‘नैरेटिव बिल्डिंग’ का (हिन्दुओं के विषय में झूठे/काल्पनिक कथानक रचकर दुष्प्रचार करने का) षड्यंत्र है ?, इसका अध्ययन करना चाहिए । लोकतंत्र क्या हमारे राष्ट्र के लिए सचमुच ही उपयोगी है ? लोकतंत्र में निहित चुनाव की प्रक्रिया स्वतंत्रता से संबंधित है अथवा गुलामी से संबंधित है ? वर्तमान व्यवस्था क्या हिन्दू धर्म, परंपराओं एवं संस्कृति की रक्षा करती है ?, इस पर चिंतन करना होगा ।