प्रधानमंत्री के विरोध में अपशब्द का उपयोग अपमानास्पद है; परंतु देशद्रोह नहीं ! – उच्च न्यायालय

नाटक के माध्यम से प्रधानमंत्री की आलोचना

बेंगळुरू (कर्नाटक) – प्रधानमंत्री के विरोध में उपयोग किए गए अपशब्द अपमानजनक हैं; परंतु वह देशद्रोह नहीं, ऐसा कहते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के कलबुर्गी खंडपीठ के न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदार ने एक विद्यालय के व्यवस्थापन के विरोध में देशद्रोह का अभियोग रहित कर दिया । इसके साथ ही न्यायालय ने बिदर के पुलिस थाने में अल्लाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मुहम्मद बिलाल एवं मुहम्मद महताब के विरोध में प्रविष्ट किए अपराध भी रहित करने का आदेश दिया ।

‘प्रधानमंत्री को जूतों से मारना चाहिए’ ऐसे अपशब्द कहना, यह केवल अपमानजनक ही नहीं, अपितु वह दायित्वशून्य भी हैं । सरकारी नीतियों पर आलोचना करने की अनुमति है; परंतु संवैधानिक पद पर आसीन जो हैं उनका अनादर नहीं किया जा सकता’, इस निरीक्षण का उल्लेख भी न्यायमूर्ति ने अपने निर्णय में किया ।

२१ जनवरी २०२० को विद्यालय की कक्षा ४थी, ५वी एवं ६ठी के विद्यार्थियों ने नागरिकत्व सुधार कानून (सीएए) एवं राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन्.आर्.सी.) इन कानूनों के विरोध में नाटक प्रस्तुत किया था । तदुपरांत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नीलेश रक्षला ने परिवाद (शिकायत) प्रविष्ट की थी । उस अनुसार विद्यालय के व्यवस्थापन के विरोध में देशद्रोह का अपराध प्रविष्ट किया गया था ।