सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी

‘छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, स्वातंत्र्यवीर सावरकर और क्रांतिकारियों की आलोचना कर गांधीजी की अहिंसा की प्रशंसा करनेवाले हिन्दुओं की स्थिति दयनीय हो गई है । इससे निकलने का एक ही मार्ग है और वह है, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना !’


हिन्दुओ, अपनी रक्षा के लिए तो भगवान की उपासना करो !

‘दंगे, युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं इत्यादि संकटों के समय सरकार, पुलिस और सेना नहीं बचापाएगी । केवल ईश्वर ही बचा सकते हैं । इसके लिए तो साधना करो !’


रामराज्य के लिए अब हिन्दुओं का ही सक्रिय होना आवश्यक है !

‘हिन्दुओ, स्वतंत्रता से लेकर अभी तक के गत ७५ वर्षों में १-२ राजनीतिक दलों को छोडकर अन्य किसी भी राजनीतिक दल ने ‘हिन्दू राष्ट्र चाहिए’, ऐसा एक बार भी नहीं कहा, तो वे भला कृति क्या करेंगे ? हिन्दुओ, अब आप ही जागृत होकर रामराज्य के लिए सक्रिय हो जाएं !’


अधिवक्ताओं की ऐसी शिक्षा का क्या उपयोग ?

‘अपराधी को बचाने का प्रयास करनेवाले अधिवक्ता होते हैं, अर्थात उन्हें अधिवक्ता बनना सिखानेवाले महाविद्यालयों में नैतिकता का मूलभूत सिद्धांत नहीं सिखाया जाता । ऐसी शिक्षा का क्या उपयोग है ?’


स्वार्थी नेता और नि:स्वार्थी साधक !

‘साधक चुनावों में जीत जाएं, तब भी उनमें स्वार्थ न होने के कारण वे नेताओं की भांति भ्रष्टाचार कभी नहीं करेंगे !’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले