जागतिक स्तर पर ३ जुलाई था अब तक का सबसे उष्ण दिन !
‘एल्-निनो’के परिणाम और ‘कार्बन डाइऑक्साईड’ का बढता उत्सर्जन इसका कारणीभूत !
लंदन (इंग्लैंड) – जागतिक स्तर पर औसत तापमान में गत कुछ वर्षों में प्रचंड वृद्धि हुई है । जब से तापमान की प्रविष्टियां (रिकॉर्ड) रखना आरंभ हुआ है, तब से अर्थात गत १२५ वर्षों से ३ जुलाई २०२३ का दिन अब तक का सबसे उष्ण दिन था । ‘यू.एस्. नैशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन’ को अनुसार इस दिन जगभर का औसत तापमान १७.०१ अंश सेल्सियस था । वैज्ञानिकों ने निरीक्षण में पाया कि यह वृद्धि ‘एल्-निनो’ परिणाम एवं ‘कार्बन डाइऑक्साईड’के बढते उत्सर्जन के कारण हुई है । इससे पूर्व अगस्त २०१६ में १६.९२ अंश सेल्सियस तापमान सर्वाधिक था । आनेवाले डेढ वर्ष में तापमान का विक्रम पुन:पुन: तोडे जाने की संभावना बताई जा रही है ।
World registers hottest day ever recorded on July 3 https://t.co/Javktttbif pic.twitter.com/faRBuouMSA
— Reuters (@Reuters) July 4, 2023
१. इस वर्ष के आरंभ में स्पेन में बढे हुए विक्रमी (record breaking) तापमान एवं तदुपरांत ऐशिया के अनेक देशों में सागरी उष्णता की लहर आई । आमतौर पर ऐसा होते हुए नहीं दिखाई देता । चीन में इसी सप्ताह अनेक स्थानों पर ३५ अंश सेल्सियस से भी अधिक तापमान था । अमेरिका के दक्षिण भाग में भी यह उष्णता प्रचंड मात्रा में बढ गई है ।
२. वैज्ञानिकों के बताए अनुसार जून माह में ‘एल्-निनो’के परिणाम दिखाई देने लगे हैं । इसका अर्थ पैसिफिक महासागर में अतिरिक्त उष्णता निर्माण हुई है । इसकारण जागतिक औसत तापमान में वृद्धि हुई ।
३. अधिक तापमान का परिणाम दोनों ध्रुवों पर भी हो रहा है । अंटार्टिका में जुलाई माह में विक्रम (रिकॉर्ड) टूट गया है और वहां ८.७ अंश सेल्सियस तापमान की प्रविष्टी की गई है ।
‘एल्-निनो’ क्या है ?केंद्रीय एवं पूर्व पैसिफिक महासागर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र का पानी भारी मात्रा में उष्ण होने की प्रक्रिया को ‘एल्-निनो’ कहते हैं । यह प्रक्रिया नियमित न होकर २ वर्ष से लेकर एक दशकभर में कभी भी होती है । यह प्रक्रिया प्रत्येक बार भिन्न होती है । इसकारण जागतिक औसत तापमान में वृद्धि होती है । |
संपादकीय भूमिकाइस परिस्थिति के लिए वैज्ञानिक उपकरणों का अत्यधिक उपयोग कारणीभूत है ! यदि अभी इस पर लगाम नहीं लगाई, तो अगली पीढियों के लिए यह परिस्थिति और अधिक भयानक होगी, यह समझ लें ! |