इराक में स्वीडिश दूतावास पर कट्टरपंथियों का आक्रमण एवं तोडफोड !
|
बगदाद (इराक) – २८ जून को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सेंट्रल मस्जिद के बाहर सलवान मोमिका नामक व्यक्ति ने न्यायालय की अनुमति से कुरान जला दिया। इससे क्रोधित होकर बगदाद में मुसलमानों ने वहां के स्वीडिश दूतावास पर आक्रमण कर दिया। उन्होंने दूतावास में घुसकर तोडफोड की। कुछ ने दूतावास का प्रवेश द्वार तोड़ दिया, जबकि अन्य दूतावास की मुंडेर पर चढ गए। यह आक्रमण शिया नेता मोक्तदा सद्र और उसके समर्थकों ने किया । वे लगभग १५ मिनट तक दूतावास में रहे। जब सैनिक वहां पहुंचे तो वे शांतिपूर्वक बाहर आ गए। दूतावास की सुरक्षा के लिए बडी संख्या में इराकी सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। आक्रमण की घटना को लेकर स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारे दूतावास के सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं।
इस आक्रमण से पूर्व यहां विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने स्वीडिश राजदूत को हटाने की मांग की। इस अवसर पर उनके द्वारा पत्रक भी वितरित किये गये। सलवान मोमिका एक इराकी नागरिक है। कुछ वर्ष पूर्व उसने इराक से पलायन कर स्वीडन में शरण ली थी।
विश्व भर के इस्लामिक देशों का विरोध !
१. कुरान जलाने की घटना का विश्व भर के इस्लामिक देशों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इराक के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस घटना से पूरे विश्व के मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं भडक उठी हैं।
२. इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (ओ.आई.सी.) ने कहा है कि घटना के उपरांत की स्थिति पर चर्चा के लिए एक आपातकालीन बैठक आयोजित की जाएगी।
३. घटना के विरोध में मोरक्को ने स्वीडन से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है।
४. तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने इस घटना की निंदा की है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस्लाम विरोधी कृत्यों की अनुमति देना अस्वीकार्य है।
५. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य प्रसारित कर कहा है कि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भेदभाव, घृणा एवं हिंसा को बढावा देने वाले कृत्यों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। (यह भी उतना ही सच है कि पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों पर आक्रमण के संबंध में पाकिस्तान सदा म.गांधी के तीन बंदरों की तरह व्यवहार करता है! – संपादक)
६. सऊदी अरब, ईरान, मिस्र, सीरिया, यमन, फिलिस्तीन जैसे इस्लामिक देशों ने भी इसका विरोध किया है।
संपादकीय भूमिकाजब स्वीडन में कुरान भस्म की जाती है , तो दुनिया भर के मुसलमान एकजुट हो जाते हैं। भारत में, ‘मनुस्मृति’ के साथ-साथ ‘रामचरितमानस’ जैसे पवित्र धर्म ग्रंथों को सार्वजनिक रूप से जल दिया जाता है किन्तु जन्म हिन्दू संयमित होकर भी साधारण विरोध तक नहीं करते , यह गंभीर एवं लज्जास्पद है ! |