हिन्दुओं के प्रतीकों को आक्रमकों द्वारा दिए नाम बदलना, हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है ! – दुर्गेश परूळकर, लेखक एवं व्याख्याता, ठाणे
मुगलों के एक भी बादशाह ने मानवता के हित में कभी कोई कार्य नहीं किया । क्रूरता ही मुगल बादशाहाें की पहचान है । इसके विपरीत छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज ने राष्ट्र-धर्म एवं संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए कार्य किया है । ताजमहल तेजोमहल है, कुतुबमीनार विष्णुस्तंभ है और तथाकथित ज्ञानव्यापी मस्जिद भगवान शिव का मंदिर है । आक्रमकों द्वारा दिए गए नाम, आक्रमकों का उदात्तीकरण है । अपना इतिहास पराभव का नहीं, अपितु विजय का है । शरद पवार को छत्रपति संभाजीनगर को ‘औरंगाबाद’ कहना हो, तो अवश्य कहें; परंतु मेरा प्रश्न है कि, ‘इस राष्ट्र के राष्ट्रपुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज हैं अथवा औरंगजेब ?’ ‘छत्रपति संभाजी महाराजजी को अनेकानेक यातनाएं देकर औरंगजेब ने मारा था । क्या वह योग्य था ?’
‘क्या शरद पवार के मन में छत्रपति संभाजी महाराज की अपेक्षा औरंगजेब के प्रति आदरभाव है ?’ देश स्वतंत्र होने के पश्चात स्थानों को आक्रमकों द्वारा दिए गए नाम बदलना, अपना राष्ट्रीय कर्तव्य है । हमारे लिए औरंगजेब प्रात:स्मरणीय नहीं, अपितु छत्रपति शिवाजी महाराज एवं धर्मवीर संभाजी महाराज हमारे लिए प्रात:स्मरणीय हैं । हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए नाम बदलने के पीछे अपनी संस्कृति नष्ट करना ही इन आक्रमकों का षड्यंत्र था । इसलिए आक्रमकों द्वारा दिए गए नाम बदलना, हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है, ऐसा वक्तव्य ठाणे के लेखक एवं व्याख्याता श्री. दुर्गेश परूळकर ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन किया ।