गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के प्रसिद्ध ‘गीता प्रेस’ को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा !
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गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) – केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा यहां के ‘गीता प्रेस’ को वर्ष २०२१ के ´महात्मा गांधी शांति पुरस्कार´ के लिए चुना गया है । इसे विश्व का एक महत्वपूर्ण पुरस्कार माना जाता है । भारत सरकार ने महात्मा गांधी की १२५ वीं जयंती के अवसर पर वर्ष १९९५ से यह पुरस्कार देना आरंभ किया था । इस पुरस्कार में १ करोड रुपए, एक प्रशस्ति पत्र एवं उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तशिल्प का एक स्मृति चिन्ह सम्मिलित है । इससे पूर्व इस्रो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, अक्षय पात्र बैंगलोर, एकल अभियान ट्रस्ट इंडिया तथा सुलभ इंटरनेशनल, नई देहली को यह पुरस्कार दिया गया ।
संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को दिया जा रहा है। #GitaPress #IndiaTvHindihttps://t.co/85dOxpL6WT
— India TV (@indiatvnews) June 18, 2023
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने गीता प्रेस को पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि गीता प्रेस की स्थापना के १०० वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर प्रेस को दिया जाने वाला गांधी शांति पुरस्कार इसके स्वामियों द्वारा समाज सेवा में किए गए कार्यों की मान्यता है । गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान मानवता के सामूहिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण है तथा गांधीवादी जीवन का एक यथार्थ प्रतीक है।
शास्त्रों के लिए गीता प्रेस का अभूतपूर्व योगदान !
गीता प्रेस की स्थापना वर्ष १९२३ में हुई थी । गीता प्रेस दुनिया के सबसे बडे प्रकाशकों में से एक है । गीता प्रेस ने अब तक श्रीमद्भगवत गीता की १६ करोड २१ लाख प्रतियां प्रकाशित की हैं । गीता प्रेस ने १४ भाषाओं में ४१ करोड ७० लाख पुस्तकें प्रकाशित की हैं । संस्था राजस्व (धन) के लिए कभी भी विज्ञापनों पर निर्भर नहीं रहा है । गीता प्रेस अपने सहयोगियों के साथ जीवन के उत्थान तथा सभी के लिए काम कर रहा है । वेद, पुराण एवं उपनिषदों के ज्ञान को पूरे भारत के हिन्दुओं तक पहुंचाने में गीता प्रेस का योगदान अभूतपूर्व है ।
प्रधान मंत्री ने की प्रशंसा
पुरस्कार मिलने पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता प्रेस की प्रशंसा की है । उन्होंने कहा कि गीता प्रेस ने लोगों के मध्य सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन को बढावा देने की दिशा में १०० वर्षों तक प्रशंसनीय कार्य किया है । गांधी शांति पुरस्कार प्राप्त करने पर मैं गीता प्रेस गोरखपुर का अभिनंदन करता हूं ।
I congratulate Gita Press, Gorakhpur on being conferred the Gandhi Peace Prize 2021. They have done commendable work over the last 100 years towards furthering social and cultural transformations among the people. @GitaPress https://t.co/B9DmkE9AvS
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2023
(ये कहते हैं …) ‘सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा निर्णय ! – कांग्रेस की आलोचनाकांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को दिए गए पुरस्कार की आलोचना की है । उन्होंने ट्वीट किया है कि अक्षय मुकुल ने इस प्रेस के विषय में वर्ष २०१५ में एक आत्मकथा लिखी है । इसमें उन्होंने मुद्रणालय (प्रेस) एवं म. गांधी के मध्य उतार-चढाव तथा राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक नीतियों पर लडाई का वर्णन किया है । केंद्र सरकार का पुरस्कार निर्णय एक उपहास है तथा सावरकर एवं गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है । (अन्य धर्मों के ग्रंथों को प्रकाशित करने वाली संस्था को म. गांधी पुरस्कार दिया गया होता तो कांग्रेस दिवाली ही मनाती; किंतु यह जान लें कि हिन्दुओं के धर्मग्रंथों का प्रचार-प्रसार करने वाले प्रेस (मुद्रणालय) को पुरस्कार दिए जाने के कारण ही यह विरोध हो रहा है ! – संपादक)
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