प्रत्येक मंदिर सरकारीकरण से मुक्त होने तक लडाई चलती रहेगी ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र आणि छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में ‘मंदिरों का संगठन : प्रयत्न एवं सफलता’ इस विषय पर संवाद 

मंदिरों का संगठन : प्रयत्न एवं सफलता’ इस विषय पर संवाद
प्रशांत जुवेकर

रामनाथ मंदिर – तुलजापुर मंदिर की वस्त्रसंहिता (ड्रेस कोड) प्रकरण के उपरांत महाराष्ट्र राज्य में १३१ मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू की गई है और अब इसे सभी मंदिरों में लागू करना है । इतना ही नहीं, अपितु देश का प्रत्येक मंदिर सरकारीकरण से मुक्त करना है । मंदिर महासंघ राज्य के मंदिरों का एक मुख्य संगठन है । इसलिए सरकार को मंदिरों की प्रथा-परंपराओं के संदर्भ में निर्णय लेने से पूर्व महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के मत पर अवश्य विचार करना चाहिए । मंदिर संस्कृति वृद्धींगत होने हेतु केवल महाराष्ट्र के ही नहीं, अपितु संपूर्ण देश के मंदिर महासंघ की स्थापना कर, सभी साडेचार लाख मंदिर सरकारीकरण से मुक्त करेंगे । अब केवल भारत ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व के हिन्दू मंदिराें की प्रथा-परंपराएं एवं संस्कृति की दृष्टि से विचार करना है, ऐसा प्रतिपादन महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक सुनील घनवट ने किया ।

गोवा में ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’के दूसरे दिन ‘मंदिरों का संगठन : प्रयत्न एवं सफलता’ इस विषय पर संवाद आयोजित किया गया था । इसमें हिन्दू जनजागृति समिति के जलगांव जिला समन्वयक श्री. प्रशांत जुवेकर भी सम्मिलित हुए थे । इस अवसर पर सनातन संस्था की देहली की प्रवक्त्या कु. कृतिका खत्री ने निवेदन किया ।

श्री. घनवट आगे बोले,

श्री. सुनील घनवट

. वर्ष १९९५ में वक्फ बोर्ड की स्थापना हुई । उनके कर्मचारियों को ‘पब्लिक सर्वंट’का दर्जा दिया गया । उसी आधार पर सरकार भी हिन्दुओं के मंदिर एवं तीर्थक्षेत्रों के लिए भी ‘हिन्दू बोर्ड’ स्थापित करे और उन्हें भी विशेष सुविधा दी जाए, तब ही संविधान में बताई गए समानता, इ‌स तत्व का पालन होगा ।

. मंदिरों का धन मंदिरों के लिए अथवा हिन्दू धर्म के लिए ही उपयोग में आए । भारत की धर्मनिरपेक्ष सरकार केवल हिन्दुओं के मंदिर हथियाकर उसका धन हडपने का अथवा मंदिरों की प्राचीन प्रथा-परंपराओं को बदलने का प्रयत्न करती है; परंतु वह मस्जिद अथवा चर्च सरकार के नियंत्रण में नहीं ला सकती । इसलिए सभी को मिलकर अपने सभी मंदिर सरकारीकरण से मुक्त करने हैं ।

मंदिर महासंघ का प्रभावी कार्य !

श्री. घनवट ने आगे जानकारी दी कि जलगांव में ५ फरवरी २०२३ को ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’की स्थापना की गई थी । तदुपरांत महासंघ का कार्य दिन-प्रतिदिन बढता ही जा रहा है और केवल ४ माह में वह राज्यभर में पहुंच गया है । हाल ही में महासंघ की ‘ऑनलाईन’ बैठक हुई थी । अब प्रत्येक २ माह में एक बार महासंघ की प्रत्यक्ष बैठक होगी । इसके साथ ही वार्षिक २ दिवसीय राज्यस्तरीय अधिवेशन आयोजित करना भी निर्धारित किया गया है ।