(इनकी सुनें….) ‘चित्रपट के संवाद अभी की पीढी को समझ में आए इसलिए जानबूझकर लिखे हैं ! – लेखक मनोज मुंतशीर शुक्ला

‘आदिपुरुष’ चित्रपट में आपत्तिजनक संवाद लेखक मनोज मुंतशीर शुक्ला द्वारा समर्थन !

‘आदिपुरुष’ चित्रपट के संवाद लेखक मनोज मुंतशीर शुक्ला (दाएं)

नई देहली – ‘आदिपुरुष’ चित्रपट के संवादों को लेकर विशेष रूप से हनुमान के संवाद पर होने वाली टिप्पणी पर संवाद लेखक मनोज मुंतशीर शुक्ला ने स्पष्टीकरण दिया है । ‘रिपब्लिक टीवी’ इस न्यूज़ चैनल पर हुए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि, अभी की पीढी को समझ में आए; इसीलिए ऐसी भाषा में इसे लिखा गया है । केवल हनुमान के विषय में ही क्यों बोला जा रहा है ? भगवान श्रीराम के संवाद पर भी बोलना चाहिए । माता सीता का संवाद जहां वह आवाहन करती हैं उस विषय पर बोलना चाहिए, ऐसा कहते हुए उन्होंने संवादों का समर्थन किया ।

(सौजन्य : Republic World)

‘संवाद जानबूझकर लिखे गए हैं क्या ?’ ऐसा पूछे जाने पर मनोज मुंतशीर शुक्ला ने कहा कि, निश्चित ही यह संवाद जानबूझकर लिखे गए हैं । हनुमान के संवाद पूर्ण विचार लिखे हैं । हमने उसे सरल रखा है । एक बात समझ लेनी चाहिए कि, चित्रपट में अनेक पात्र होते हैं, तो प्रत्येक को एक ही भाषा बोलनी नहीं आती । उसमें वीविधता होगी । हम बचपन से रामायण सुनते आ रहे हैं । मैं एक छोटे गांव से आया हूं । हमारे गांव में हमारी दादी जब कहानियां बताती थीं, तब वह इसी भाषा में बताती थी । इस देश के महान संत, इस देश के महान कथाकार मेरे लिखे अनुसार संवाद बोलते हैं । ऐसे संवाद लिखने वाला मैं पहला नहीं, यह पहले से ही कहे जा रहे हैं ।

क्या है आपत्तिजनक संवाद ?

हनुमान का लंका दहन प्रसंग दिखाते समय उनके द्वारा ‘कपडा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का, आग भी तेरे बाप की, तो जलेगी भी तेरे बाप की’ ऐसा संवाद सुनकर दर्शकों ने रोष व्यक्त करना आरम्भ किया है ।

संपादकीय भूमिका 

हिन्दुओं के पीढी को क्या समझ में आएगा और क्या नहीं समझ में आएगा , इसकी अपेक्षा रामायण के धार्मिक महत्व को ध्यान में रखकर ही संवाद लिखने की आवश्यकता थी; लेकिन ‘हमें सब समझ में आता है’ इन विचारों से इस प्रकार का काम किया गया है, यही स्पष्ट होता है !