ब्राह्मणों को उनकी भूमिका में परिवर्तन कर उसे निसर्ग के अनुकूल करना आवश्यक !

आइ.ए.एस्. अधिकारी नियाज खान का वक्तव्य !

भोपाल (मध्य प्रदेश) – हिन्दू धर्म के साथ विभिन्न विषयों पर ८ पुस्तकें लिखनेवाले आइ.ए.एस्. अधिकारी नियाज खान ने ब्राह्मणों को उनकी भूमिका बदल कर उसे निसर्ग के अनुकूल करने का परामर्श दिया है । उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि एशिया, आफ्रिका तथा दक्षिण अमेरिका के अविकसित देश उनकी संस्कृति, प्राचीन मूल्य तथा संस्कारों को छोड कर गति से विकास के पीछे भाग रहे है । ऐसा प्रतीत होता है मानो वे इस पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बाहर जाएंगे । ऐसे में सभी को निसर्ग का विस्मरण हो गया है । धार्मिक गुरुओं को ही विनाश की इस प्रतियोगिता को रोकना होगा ।

नियाज खान ने इस संदर्भ में वीडियो का संदेश भी प्रसारित किया । उसमें उन्होंने कहा है कि,

१. विकास के नाम पर सहस्त्रावधि वृक्षों का बलिदान किया जाता है । धरतीमाता का हृदय काटना पडता है । हम पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं ।

. यदि हमने वेद पढा, तो हमारे ध्यानमें आएगा कि हमारे देवी-देवता प्रकृति के रक्षक हैं एवं पृथ्वी की रक्षा करना उनका दायित्व है ।

. ब्राह्मणों के सामने एक नई चुनौती है । सभी वेद तथा ब्राह्मण मानते हैं कि यदि प्रकृति की रक्षा हुई, तभी धरनीमाता की रक्षा होगी । जब ब्राह्मण जागृत होंगे, तब सभी लोग जागृत होंगे । ब्राह्मणों ने अपने दृष्टिकोन में परिवर्तन कर विकास निसर्ग के अनुकूल होने हेतु प्रयास करना चाहिए । प्रत्येक ब्राह्मण मार्गदर्शक रहा है ।