अधिवक्ता पुलिस और गवाहों के कारण देश के लगभग ३८% मुकदमे प्रलंबित |

  • ‘डाटा ग्रिड’ संगठन का ब्योरा !

  • देश भर में कुल ४ करोड ३६ लाख २० सहस्र ८२७ मुकदमे प्रलंबित

  • ६% मुकदमे न्यायालयों ने मुकदमों को दी स्थगिति के कारण प्रलंबित


नई देहली – देश के कनिष्ठ न्यायालयों से लेकर उच्चतम न्यायालय तक लगभग ४ करोड ३६ लाख २० सहस्त्र ८२७ मुकदमे *प्रलंबित* हैं । मुकदमों के निपटारे के लिए न्यायालय में पुलिस, अधिवक्ता और गवाह महत्त्व की भूमिका निभाते हैं; परंतु यही लोग देश के ३८% मुकदमे प्रलंबित रहने के पीछे का कारण बने हैं । यह संख्या १ करोड ६९ लाख ५३ सहस्त्र ५२७ है । देश में लंबित मुकदमों के पीछे क्या कारण है, इस पर ‘डेटा ग्रिड’ इस संगठन ने एक ब्योरा जारी किया है । इसी से यह खतरनाक स्थिति सामने आई है ।

इस ब्योरे के अनुसार,

१. प्रलंबित मुकदमों में से १४% अर्थात ६१ लाख ५७ सहस्र २६८ ऐसे मुकदमे हैं, जिनके पीछे का कारण ये अधिवक्ता हैं । वे मुकदमों की सुनवाई के समय उपस्थित ही नहीं रहते हैं । (ऐसे अधिवक्ताओं पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए ! – संपादक)

२. ८ लाख ८२ सहस्र मुकदमों में अर्थात २% मुकदमों में मुकदमा प्रविष्ट करने वाले और विरोधी पार्टी ने न्यायालय में आना ही छोड दिया है । (यदि ऐसा है, तो उन मुकदमों को रद्द ही करना चाहिए ! – संपादक)

३. १५% अर्थात ६६ लाख ५८ सहस्र १३१ प्रलंबित मुकदमे ऐसे हैं, जिनमें आरोपी अथवा गवाह उपस्थित न होने से सुनवाई में देरी हो रही है । इनमें से लगभग ३६ लाख २० सहस्र २९ मुकदमों में आरोपी जमानत लेकर फरार हो गए हैं । (यह भारतीय पुलिस के लिए लज्जास्पद है ! – संपादक)

४. देश के विभिन्न न्यायालयों में प्रलंबित मुकदमों में से २६ लाख ४५ सहस्र ६८७ मुकदमे ऐसे, जिनमें न्यायालय ने उन्हें स्थगिति दी है । इसमें उच्चतम न्यायालय द्वारा १ *सहस्त्र* ९६० तथा उच्च न्यायालयों द्वारा स्थगिति दिए मुकदमों की संख्या १ लाख ६९ सहस्र के बराबर है ।

संपादकीय भूमिका

  • अध्यात्मविहीन व्यवस्था के कारण किस प्रकार काम बिगडता है, इसका यह उत्तम परंतु लज्जास्पद उदाहरण !
  • यह आंकडे देखें, तो भारतीय न्याय व्यवस्था राम भरोसे ही है, ऐसा कह सकते हैं । व्यवस्था पर होने वाला यह तनाव केवल कम ही करना उपयोगी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक को न्याय मिलने के लिए सभी मुकदमों का निस्तारण होना आवश्यक है । इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करने के लिए १००% परिणामकारक उपाययोजना निकालना आवश्यक !