सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘धर्मशिक्षा के कारण धर्म के लिए त्याग करने के लिए लाखों मुसलमान तैयार रहते हैं । इसके विपरीत हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न होने के कारण वे बुद्धिप्रमाणवादी बनकर धर्म को ही झूठा घोषित कर देते हैं !’
केवल प्रवचन न करें, यह भी करें !
‘रामायण, छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि पर केवल प्रवचन न करें, अपितु वानरसेना, मावळे (सैनिक) तैयार करें !’
सभी क्षेत्रों में हो रही भारत की अधोगति, अहिंसावादी महात्मा गांधी और कांग्रेस की देन है !
‘भारत से पाकिस्तान और बांग्लादेश का अलग हो जाना, भारत के धर्मांधों का यह कहना कि ‘कश्मीर पाकिस्तान का है’ और भारत में सर्वत्र आतंकवादी फैल जाना, अहिंसावादी महात्मा गांधी और कांग्रेस की देन है । इन विचारधाराओं को परास्त कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने पर ही भारत की सभी क्षेत्रों में प्रगति होगी !’
केवल इसी से राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति होगी !
‘जिनके मन में राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम है एवं जो उसके लिए कुछ करते हैं, केवल उन्हें चुनाव में मत देने का अधिकार मिले । केवल इसी से राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति होगी ।’
संत और नेताओं में भेद !
‘नेताओं को पैसे देकर कार्यकर्ता इकट्ठा करने पडते हैं । इसके विपरीत संतों के पास अर्पण देनेवाले कार्यकर्ता, अर्थात साधक और शिष्य होते हैं ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले