बांगलादेश में हिन्दू महिलाओं के कथित अधिकारों के लिए उच्च न्यायालय में याचिका !
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नई देहली – बांगलादेश की हिन्दू महिलाओं के कथित अधिकारों की रक्षा के लिए उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है । इससे हिन्दुओं का एक गुट चिंतित है । इस गुट का कहना है कि इस याचिका का उद्देश्य हिन्दू परिवारों को तोडने और हिन्दुओं को बांगलादेश से निकालने का है ।
१. यह याचिका ३ हिन्दू और ६ मानवाधिकार संगठन ने प्रविष्ट की है । इनमें से ‘आईन ओ सलिश केंद्र’ नामक मानवाधिकार संगठन के अध्यक्ष जेड.आइ. खान पन्ना ने कहा, ‘हम याचिका द्वारा केवल मूलभूत मानवाधिकारों की मांग कर रहे हैं । (हिन्दुओं की महिलाओं को क्या चाहिए और क्या नहीं ?, यह देखने के लिए हिन्दू सक्षम हैं । उसमें अन्य धर्मीय हस्तक्षेप न करें, अपितु मुसलमान महिलाओं को अधिकार देने की ओर ध्यान दें ! – संपादक)
२. याचिका में कहा है कि, हिन्दू महिलाएं अब भी पारंपरिक कानून के अनुसार आचरण कर रही हैं । उन्हें ‘समाज पर बोझ’ कहा जा रहा है । दूसरी ओर बांगलादेश में समान व्यवहार करने का आश्वासन दिया गया है । यह आश्वासन हिन्दू महिलाओं के संदर्भ में पूर्ण होते हुए नहीं दिखाई दे रहा । पडोसी देश हिन्दूबहुल भारत सहित संपूर्ण जग में महिलाओं का जीवन कानून के अनुसार चलता है । इससे बांगलादेश में भी वैसा होना आवश्यक है । इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए ।
३. बांगलादेश में वर्ष २०१२ में ‘हिन्दू विवाह पंजीयन अधिनियम – २०१२’ में सम्मत किया गया था । इसके अंतर्गत हिन्दुओं को विवाह के पंजीयन पर बंधन नहीं है ।
४. याचिका में कहा है कि, हिन्दू महिलाओं को विवाह-विच्छेद, मेन्टेनन्स, बच्चों को दत्तक लेना आदि अधिकार मिलने चाहिए । वडिलोपार्जित संपत्ति में महिलाओं को हिस्सा मिलना चाहिए । हिन्दू महिलाओं का जीवन आधुनिक कानूनानुसार संचालित होना चाहिए ।
५. हिन्दुओं का संगठन ‘बांग्लादेश हिन्दू ग्रैंड अलायन्स’ने इस याचिका का विरोध किया है । इसके विरोध में यह संगठन विविध स्थानों पर जागृति करेगा । इस संगठन के सचिव गोविंद चंद्र प्रामाणिक ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं को शांति नहीं चाहिए । वे हमारे परिवारों को तोडना चाहते हैं । तत्पश्चात बांगलादेश से भगाना चाहते हैं । कुछ अशासकीय संस्थाओं ने अपने स्वार्थ के लिए यह याचिका प्रविष्ट की है ।
६. ‘बांगलादेश हिन्दू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद’ नामक संगठन के सचिव दासगुप्ता ने कहा है कि हमारी संगठन इस प्रकरण पर ध्यान दे रही है । मुझे व्यक्तिगतरूप से ऐसा लगता है कि महिला अधिकारों से वंचित हैं, इसलिए उनकी स्थिति बदलनी चाहिए ।
संपादकीय भूमिकाबांगलादेश के हिन्दुओं की कुल स्थिति बिकट ही है और अब तो उनके अस्तित्व को ही नष्ट करने का प्रयत्न हो रहा है । इस संदर्भ में याचिका क्यों नहीं प्रविष्ट की जाती ? |