दमोह (मध्य प्रदेश) की निजी (प्राईवेट) पाठशाला में हिन्दू लडकियों ने हिजाब समान पाोशाक धारण किया !
सरकार द्वारा जांच का आदेश !
हिजाब (मुसलमान महिला द्वारा सर तथा गर्दन ढकने हेतु प्रयोग किया जानेवाला वस्त्र)
दमोह (मध्य प्रदेश) – दमोह जिले में ‘गंगा जमुना उच्च माध्यमिक विद्यालय’ निजी (प्राईवेट) पाठशाला में हिन्दू छात्राओं द्वारा हिजाब समान पोशाक धारण करने की घटना सामने आई है । इस संदर्भ में मध्य प्रदेश सरकार ने जांच का आदेश दिया है ।
दमोह के प्राइवेट स्कूल पर आरोप, हिन्दू छात्राओं को हिजाब पहनने पर किया जा रहा मजबूर, अब उठी ये मांग#MadhyaPradesh #Damoh#HijabControversy https://t.co/CJoRzN5fW0
— ABP News (@ABPNews) June 1, 2023
१. गंगा जमुना उच्च माध्यमिक विद्यालय के भित्तिपत्रक में हिन्दू छात्राओं ने हिजाब समान दिखाई देनेवाले वस्त्र पहने थे । इस कारण विवाद होने पर राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रथम जिला शिक्षाधिकारी ने इस पकरण की जांच की थी । इस संदर्भ में कोई भी परिवाद प्रविष्ट नहीं किया गया है । इस घटना की गंभीरता को ध्यान में लेकर पुलिस अधीक्षक को विस्तृत जांच करने का आदेश दिया गया है ।
२. इस संदर्भ में हिन्दू संगठनों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रदर्शन करते हुए पाठशाला का पंजीकरण रद्द करने की मांग की । इन हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि पाठशाला की ओर से हिन्दू छात्राओं को हिजाब धारण करने के लिए बाध्य किया जा रहा है ।
३. दमोह के जिलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने कहा कि इससे पूर्व की गई जांच में धर्म परिवर्तन का दावा झूठ होने की बात सामने आई थी । गृह मंत्री की सूचना के पश्चात इस प्रकरण की जांच के लिए एक दल नियुक्त किया जा रहा है ।
४. पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने कहा कि अभी तक अभिभावक अथवा छात्राओं में किसी ने भी इस विषय में परिवाद प्रविष्ट नहीं किया है ।
५. राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने ट्वीट करते हुए कहा है कि इस घटना पर ध्यान देकर आवश्यक कार्यवाही हेतु दमोह के जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक को सूचनाएं दी जा रही हैं ।
‘स्कार्फ’ को हिजाब समझा जा रहा है ! -पाठशाला के संचालक मुस्ताक खान का दावा
(‘स्कार्फ’ अर्थात एक प्रकार से रुमाल समान बडा वस्त्र, जो सर में बांधा जाता है )
गंगा जमुना उच्च माध्यमिक विद्यालय के संचालक मुस्ताक खान ने दावा किया कि पाठशाला की पोशाक में ‘स्कार्फ’ का समावेश है; परंतु किसी को भी उसे पहनने के लिए बाध्य नहीं किया जाता । इसी स्कार्फ को हिजाब समझा जा रहा है ।
संपादकीय भूमिकादेश की अधिकांश पाठशालाओं की पोशाक में छात्राओं के लिए स्कार्फ नहीं डाला जाता; परंतु कहीं ऐसा तो नहीं कि इस पाठशाला में सीधे हिजाब पहनने का विरोध होगा; इसलिए स्कार्फ पहनने को बाध्य किया जा रहा हो ? इसकी जांच करने की आवश्यकता है ! |