प्रकृति के अनुसार साधना, यह हिन्दू धर्म की अद्वितीयता !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘हिन्दू धर्म में चार वर्ण हैं । उस की निंदा करते समय बुद्धिप्रमाणवादियों तथा अन्य धर्मियों को यह नहीं समझ में आता कि सभी क्षेत्रों में ऐसा ही है, उदा. डॉक्टरों में छोटे बच्चों के डॉक्टर, स्त्रियों के डॉक्टर, आंखों के डॉक्टर, हृदयविकार विशेषज्ञ, मनोविकारत विशेषज्ञ ऐसे अनेक प्रकार हैं, उसी प्रकार साधना में भी आयु, स्त्री-पुरुष, वर्ण इत्यादिन के अनुसार भेद हैं । साधना के संदर्भ में इतने भेद होना, हिन्दू धर्म की अद्वितीयता दर्शाता है ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक