महाराष्ट्र की बैलगाडी दौड, तो तमिलनाडु के जल्लीकट्टू पर बंदी हटी !

सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय !

नई देहली – महाराष्ट्र की बैलगाडी दौड और तमिलनाडु को जल्लीकट्टू खेल को अनुमति देनेवाले कानून का आवाहन देनेवाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है । न्यायालय के ५ न्यायमूर्तियों के खंडपीठ ने यह खेल खेलने की अनुमति दी है ।

१. गत सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि जल्लीकट्टू समान बैलों पर नियंत्रण पाने के खेल में किसी भी प्राणी का उपयोग कर सकते हैं क्या ?

२. सरकारने प्रतिज्ञापत्र में कहा था कि‘जल्लीकट्टू केवल मनोरंजन का खेल नहीं, अपितु इस कार्यक्रम का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्त्व है । इस खेल में बैलों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता ।

३. सरकार ने ऐसा युक्तिवाद किया कि  ‘जल्लीकट्टू’ में सम्मिलित होनेवाले बैलों को किसान वर्षभर प्रशिक्षण देते हैं जिससे किसी के लिए भी कोई संकट निर्माण न हो ।

‘जलीकट्टू’ खेल क्या है ?

पोंगल त्योहार के तीसरे दिन जल्लीकट्टू का खेल शुरू होता है । इस खेल में खिलाडी को खुले छोडे हुए बैलों पर नियंत्रण प्राप्त करना होता है । यदि कोई खिलाडी १५ मीटर के अंदर बैल पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, तो उसे विजेता घोषित किया जाता है ।

यह प्रकरण क्या है ?

  • वर्ष २०११ : तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन पर प्रतिबंधित प्राणियों की सूची में किया बैलों का समावेश !
    प्राणियों के संरक्षण का दावा करनेवाली ‘पेटा’ संस्था द्वारा जल्लीकट्टू खेल पर प्रतिबंध लगाने की मांग !
  •  वर्ष २०१४ : सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खिलाडियों पर प्रतिबंध !
    तमिलनाडु सरकार द्वारा यह खेल शुरू रखने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग !
  •  वर्ष २०१६ : केंद्र सरकार द्वारा कुछ शर्तों सहित एक अधिसूचना जारी कर जल्लीकट्टू आयोजित करने की दी अनुमति !
    कानून के विरोध में ‘पेटा’ पुन: सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा । न्यायालय ने प्रथम याचिका नकार दी; परंतु पुनर्विलोकन याचिका स्वीकार कर खेल को अंत में अनुमति दी ।