साधना का अनन्य महत्त्व !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘साधना के कारण ‘भगवान चाहिए’, ऐसा लगने लगे, तो ‘पृथ्वी पर और कुछ चाहिए’, ऐसा नहीं लगता । इस कारण किसी से ईर्ष्या-द्वेष नहीं लगता साथ ही अन्यों के साथ दूरियां, झगडे नहीं होते ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक