शरिया कानून में एकतरफा तलाक की प्रक्रिया को समाप्त करें ! – क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी

‘तलाक’ के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका; न्यायालय ने केंद्र सरकार को भेजा ज्ञापन !

नई देहली – भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां ने कहा है कि शरिया कानून की पीडिता होने के कारण उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । उन्होंने एकतरफा विवाह विच्छेद (तलाक-उल-हसन) की सहमति देनेवाले शरिया के प्रावधानों का विरोध किया है तथा उनके उन्मूलन की मांग की है । उन्होंने यह भी मांग की है कि तलाक की प्रक्रिया को भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत लाया जाए । उनका कहना है कि शरिया के प्रावधान पुरुषों को अपनी पत्नियों को अपनी स्वेच्छा से विवाह विच्छेद करने की अनुमति देते हैं ।

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है एवं इस संबंध में केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है । उन्होंने यह भी कहा कि इस याचिका पर ‘तलाक-ए-हसन’ से जुडी सभी लंबित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी ।

याचिका में कहा गया है कि

१. मुस्लिम पुरुष शरीयत के नियमों के अनुसार मध्यस्थता आदि के लिए कोई समय दिए बिना सीधे महिलाओं को विवाह विच्छेद करने का निर्णय सुना देते हैं, जिसके फलस्वरूप बिना किसी चर्चा के विवाह विच्छेद का निर्णय महिलाओं पर थोप दिया जाता है ।

२. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ‘शरीयत अधिनियम – १९३७ ‘ के अंतर्गत धारा २, भारत के संविधान के अनुच्छेद १४,१५,२१ एवं २५ के अंतर्गत नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है । इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए ।

३. धर्म अथवा लिंग के आधार पर बिना किसी भेदभाव के विवाह विच्छेद के संबंध में देश में एक समान कानून होना चाहिए ।

४. मोहम्मद शमी ने २३ जुलाई २०२२ को अपनी पत्नी हसीन जहां को तलाक का ज्ञापन भेजा था । दोनों पिछले ४ वर्षों से अलग रह रहे हैं तथा शमी उन्हें १ लाख ३० सहस्र रुपए प्रति प्रतिमाह भत्ता दे रहे हैं । दोनों की एक बेटी है, जो उनकी पत्नी अर्थात अपनी मां के साथ रहती है ।

संपादकीय भूमिका 

  • समलैंगिक विवाहों की अपेक्षा ‘तलाक’ देने की कुप्रथा के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहा अन्याय एक बहुत ही गंभीर विषय है एवं न्यायालय को इस विषय को शीघ्रातिशीघ्र सुलझाना चाहिए, संवेदनशील जनता का ऐसा विचार है !
  • केंद्र सरकार पूरे देश में ‘समान नागरिक कानून’ लागू करके ऐसी समस्याओं का स्थायी समाधान करे !
  • महिला अधिकारों के नाम पर डींग हांकने वाले पुरो(अधो)गामी मोहम्मद शमी की पत्नी को सामने आकर क्यों नहीं सहायता करते ? क्या उनके लिए मुस्लिम महिलाओं के मानवाधिकारों का कोई  मूल्य नहीं है ?