(अब इनकी सुनिए) ‘दर्शकों द्वारा अल्प प्रतिसाद मिलने से सिनेमा हॉल के मालिकों ने चलचित्र हटाया !’

‘द केरल स्टोरी’ चलचित्र पर लगाए प्रतिबंध के संदर्भ में तमिलनाडू की द्रमुक सरकार द्वारा न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र !

नई देहली – बंगाल एवं तमिलनाडू में ‘द केरल स्टोरी’ चलचित्र के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरुद्ध चलचित्र निर्माता विपुल शाह एवं निर्देशक सुदीप्तो सेन ने सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इसकी पहली सुनवाई में न्यायालय ने इन दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस भेजा था । इस पर तमिलनाडू सरकार ने न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत किया है । सरकार ने कहा है, ‘चलचित्र के निर्माताओं ने याचिका में झूठ दावा किया है । हमने राज्य में चलचित्र पर प्रतिबंध नहीं लगाया है । सिनेमा हॉल के मालिकों ने ही चलचित्र हटाया है । दर्शकों द्वारा अल्प प्रतिसाद मिलने से इसे हटाया गया है ।

१. सरकार का कहना है कि यह चलचित्र १९ मल्टिप्लेक्स में प्रदर्शित हुआ था । चलचित्र पर प्रतिबंध लगाए जाने के संदर्भ में याचिकाकर्ताओं ने कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है । वास्तव में राज्य द्वारा प्रत्येक मल्टिप्लेक्स में पुलिस का प्रबंध किया गया था । चलचित्र देखते समय कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न उत्पन्न न हो इसलिए राज्य सरकार ने सावधानी बरती थी । चलचित्र दिखानेवाले २१ सिनेमा हॉल की सुरक्षा के लिए २५ पुलिस आयुक्तों के साथ ९६५ से अधिक पुलिसकर्मियों का प्रबंध किया गया था । सिनेमा हॉल के मालिकों ने ही अल्प प्रतिसाद के कारण चलचित्र का प्रदर्शन रोक दिया । चलचित्र प्रदर्शित करनेवाले सिनेमा हॉल को सुरक्षा देने के अतिरिक्त दर्शकों की संख्या बढाने के लिए तमिलनाडू राज्य अधिक कुछ नहीं कर सकता, ऐसा भी बताया गया ।

२. विपुल शाह ने याचिका में कहा है, ‘यह चलचित्र सिनेमा हॉल में दिखाने के लिए राज्य सरकार सिनेमा हॉल के मालिकों के पीछे खडी नहीं रहेगी, इसलिए राज्य के सिनेमा हॉल के मालिकों ने यह चलचित्र हटा दिया था, सरकार की ओर से ऐसा अनौपचारिक रूप में कहा गया था ।’ इस पर तमिलनाडू सरकार ने इस दावे को अस्वीकार कर कहा है, ‘जानबूझकर झूठे वक्तव्य दिए गए हैं ।’

संपादकीय भूमिका 

पूरे देश में इस चलचित्र को दर्शकों द्वारा प्रचंड प्रतिसाद मिल रहा है । इसी लिए चलचित्र को १०० करोड रुपए की आय हुई है । ऐसा होते हुए भी तमिलनाडू में प्रदर्शन के पूर्व ३ दिनों में ही सिनेमा हॉल के मालिकों ने उसे हटा दिया । इससे समझ में आता है कि तमिलनाडू सरकार का न्यायालय में किया दावा कितना झूठ है ! हिन्दूद्वेषी द्रमुक सरकार से इससे अधिक अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं ?