‘लव जिहाद’ के विरुद्ध हिन्दुओं को असहायता की भावना छोडकर संगठित एवं क्रियाशील होना आवश्यक !
हिन्दू जनजागृति समिति के माध्यम से धर्मप्रसार का कार्य करते समय यह समझ में आया कि इस हिन्दूबहुल देश में हिन्दुओं पर जो आघात हो रहे हैं, उनमें से ‘लव जिहाद’ एक है । इसके संदर्भ में ‘लव जिहाद’ में फंसी युवतियों से संवाद का अथवा उनके अभिभावकों से मिलने के अनेक बार प्रसंग आए । उस समय जो विदारक सच्चाई सामने आई, वह यह है कि इस स्थिति में हिन्दू अभिभावक अत्यंत असहाय दिखाई दिए तथा इस असहाय भावना के कारण क्या वे इस आघात का सामना करने का साहस ही गंवा बैठे हैं ?, ऐसा लगने लगा । यही इस लेख का प्रयोजन है । इससे किसी को कोई उपदेश देने का उद्देश्य नहीं है; अपितु ‘स्वयं के सामर्थ्य को पहचानकर हम निश्चित रूप से लव जिहादरूपी राक्षस का मर्दन कर सकते हैं, यह विश्वास उत्पन्न करना’, यह प्रामाणिक उद्देश्य है ।
१. स्वयं की लडकी के विषय में असावधान न रहकर सतर्क रहना होगा !
एक प्रकरण में एक बडे व्यापारी की शिक्षित लडकी लव जिहाद में फंसी थी । वह युवती तथा धर्मांध एक-दूसरे को लगभग ५ वर्षाें से जानते थे । आरंभ में उन अभिभावकों ने उस धर्मांध को चेतावनी देने का प्रयास भी किया तथा उसके उपरांत ‘इसके आगे ऐसा नहीं होगा’, इस भ्रम में वे असावधान रहे । आगे जाकर उन्होंने उस युवतक्ष को आगे की शिक्षा के लिए दूसरे शहर में भेजा । एक दिन उन अभिभावकों को यह ज्ञात हुआ कि उनकी लडकी अभी भी उसके संपर्क में बनी हुई है । इससे यह बात ध्यान में आया कि अभिभावक केवल ऊपरी तथा तात्कालिक समाधान निकालने पर विचार करते हैं । लव जिहादी कभी भी शांत नहीं बैठता । उसने जो शिकार चुना हुआ होता है (हिन्दू महिला अथवा युवती), उसे प्राप्त करने का वह निरंतर प्रयास करता रहता है तथा इस काम में उसके धर्मसहयोगी उसकी सर्वाेपरि सहायता करते रहते हैं । इसलिए ‘मेरी लडकी ने मुझे शपथपूर्वक बताया है कि वह उससे नहीं मिलेगा’, ऐसा बोलकर असावधान न रहें । इसकी अपेक्षा हमें सतर्क रहकर अपनी लडकी पर ध्यान रखने का प्रयास करना होगा ।
२. घर के वातावरण को धार्मिक रखने का प्रयास करें !
आजकल अनेक घरों में पाश्चात्य विकृति का अंधानुकरण करने का ‘फैशन’ बढता जा रहा है । हिन्दू अभिभावक उनकी लडकियों को उनके बचपन से ही विदेशी पद्धति के तंग अथवा शरीर का प्रदर्शन करनेवाले वस्त्र देते हैं । कहीं युवती फिल्म देखकर विशिष्ट पद्धति के वस्त्र पहनने का हठ करती है; इसलिए उसे ऐसे कपडे खरीदकर दिए जाते हैं । ये अभिभावक अपनी लडकियों को माथे पर कुमकुम लगाने के लिए भी नहीं कहते । वह युवती विद्यालयीन स्तर से ही सफेद माथे से घूमती है । विदेशी आचरण, विदेशी आहार, विद्यालयों-महाविद्यालयों में मनाए जानेवाले विभिन्न अर्थहीन ‘डे’ के कारण हिन्दू युवती धर्माचरण एवं हिन्दू संस्कृति से कोसों दूर चली जाती है । इस प्रकार विदेशी आचरण के कारण दुर्बल एवं जर्जर हिन्दू युवती लव जिहाद की बडी सहजता से शिकार हो सकती है । यहां यह समझना आवश्यक है कि जब तक ‘वह’ धर्माचरण की लक्ष्मण रेखा के अंदर है, तब तक कोई लव जिहादी उसे कष्ट नहीं पहुंचा सकता; इसलिए हिन्दू अभिभावकों को घर का वातावरण धार्मिक बनाए रखने का प्रयास करना होगा ।
३. धर्माचरण के कारण प्रतिकूल प्रसंग का सामना करने का बल प्राप्त होता है !
लडकों अथवा लडकियों को क्या पसंद है, क्या नहीं, केवल इसका विचार न कर उन्हें आवश्यक संस्कार भी देने चाहिए । कितनी भी पीडा हो; परंतु हम शिशु के लिए आवश्यक टीकाकरण तो करते ही हैं न ?; क्योंकि वह नहीं किया, तो उसके क्या दुष्परिणाम होंगे, यह हम भली-भांति जानते हैं । इसे समझते हुएए चाहे हमें अच्छा न लगता हो, तब भी हमें ऐसा करना आवश्यक है; इसलिए धर्मशिक्षा देनी ही चाहिए तथा बच्चों को धर्माचरण करने का आग्रह रखना ही चाहिए । धर्माचरण के कारण हिन्दू युवती अथवा महिला को ऐसे प्रतिकूल प्रसंग का सामना करने का निश्चित रूप से सामर्थ्य देगा ।
४. क्या आपने कभी सुना है कि पीडित महिलाओं ने ‘लव जिहाद विरोधी’ संगठन चलाया है ?
एसिड (आम्ल) फेंकने की घटना से पीडित युवतियों के संगठन हैं, पति के द्वारा छोड दी गई (विवाह विच्छेदित) महिलाओं का पालन करनेवाले अनेक सामाजिक संगठन हैं; परंतु क्या आपने कभी लव जिहाद का शिकार बनी युवतियों के अभिभावकों ने अथवा उसका दंश झेल चुकी युवतियों ने ऐसा कोई ‘लव जिहाद विरोधी’ संगठन चलाया हो, ऐसा सुना है ? ऐसा संगठन क्यों नहीं चलाया जा सकता ? जिन्होंने इन राक्षसों का कष्ट सहा हो, उन्हें अन्यों को जागरूक करने के लिए हो अथवा ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कठोर नियम बनाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना हो, इसके लिए सभी को एकत्रित होकर प्रयास करने चाहिए । इससे कम से कम अन्य हिन्दू युवतियां एवं महिलाएं सतर्क होंगी । आज के समय में इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है ।
५. लव जिहादविरोधी कानून बनाने सहित उसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संगठन होना चाहिए !
संपूर्ण देश में जहां लव जिहाद का राक्षस उधम मचा रहा है, ऐसे में केवल कुछ ही राज्यों में लव जिहाद विरोधी कानून बनाया गया । अन्य राज्य अभी भी इसकी ओर गंभीरता से नहीं देख रहे हैं । उन राज्यों के शासनकर्ताओं में इसके प्रति गंभीरता कौन लाएगा? महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार ने बहुत शीघ्र इस कानून को लाने का आश्वासन दिया है; परंतु कानून बनाना सभी समस्याओं का समाधान नहीं है । महाराष्ट्र में आज के समय में ‘गुटखा बंदी कानून’, ‘गोवंश हत्या बंदी कानून’ जैसे अनेक कानून केवल कागद पर ही हैं । उसका प्रभावी कार्यान्वयन करने के लिए शासन को बाध्य करना पडता है । लव जिहाद के कानून का प्रभावी एवं कठोरता से कार्यान्वयन करने के लिए हिन्दुओं को उस कानून के बनते ही उसे सुचारू रूप से समझ लेना होगा, साथ ही समय-समय पर संगठित होकर आवश्यकता पडने पर इस कानून की कठोर कार्यवाही करने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाना पडेगा । हमें इसकी भी तैयारी करनी होगी ।
६. क्या वर्तमान सरकार लव जिहादियों का चौरंगा बनाएगी ?
हिन्दू संस्कृति जिस प्रकार विनयशीलता एवं भूतदया की शिक्षा देती है, उसके साथ क्षात्रवृत्ति की भी शिक्षा देती है । रामायण हमें क्या सिखाता है ? जिसने सीतामाता को बंदी बनाए रखा, उस रावण की लंका में घुसकर वैधानिक पद्धति से उसका वध किया गया तथा उसकी लंका जलाई गई । आगे जाकर महाभारत में द्रौपदी की अवहेलना करनेवाले तथा उसके मूकदर्शक बने लोगों को युद्ध में किस प्रकार नेस्तनाबूत किया गया, यह हम जानते हैं । छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी हिन्दवी स्वराज में महिलाओं की रक्षा के लिए कठोर कानून बनाए थे । महिला पर हाथ डालनेवाले का चौरंगा किया जाता था । वर्तमान सरकार ने यदि श्रद्धा वाळकर के ३५ टुकडे करनेवालों का तथा उसका लेशमात्र भी पश्चाताप न होनेवाले उस लव जिहादी का चौरंगा किया, तो आगे जाकर कोई भी जिहादी लव जिहाद करने का साहस नहीं दिखाएगा । इसके लिए हिन्दू अभिभावकों को असहायता की भावना छोडकर संगठित होने के साथ ही लव जिहाद के राक्षस का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए ! इसके लिए ‘माता भवानी’ आप सभी को सामर्थ्य प्रदान करें’, यह प्रार्थना है !
– श्री. प्रशांत जुवेकर, हिन्दू जनजागृति समिति, जळगांव, महाराष्ट्र. (५.३.२०२३)