अब से आधुनिक वैद्यों के अस्थायी स्थानांतर करने का प्रतिबंध !
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छत्रपती संभाजीनगर – राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के (‘नैशनल मेडिकल काऊन्सिल’ के) चिकित्सकीय मूल्यांकन एवं मानांकन मंडल के (मेडिकल इवैल्यूएशन एंड रेटिंग बोर्ड) सदस्य डॉ.जे.एल. मीणा ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया है । ‘नए सरकारी चिकित्सकीय महाविद्यालय एवं चिकित्सालय आरंभ करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की ओर से परीक्षण किया जाता है । उस समय अन्य सरकारी चिकित्सकीय महाविद्यालय में कार्यरत प्राध्यापकों का ऐसे नए चिकित्सालय में अस्थायी स्थानांतर न करें’, राष्ट्रीय चिकित्सकीय आयोग ने ऐसा परिपत्रक (सर्कुलर)प्रसारित किया है । संभाजीनगर खंडपीठ ने चिकित्सकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को अस्थायी स्थानांतर पर स्थायीरूप से प्रतिबंध लागू करने का आदेश दिया था । उसके अनुसार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने सभी चिकित्सकीय शैक्षिक संस्थाओं को ये निर्देश दिए हैं ।
एम.आइ.एम. के सांसद इम्तियाज जलील द्वारा प्रविष्ट जनहित याचिका की सुनवाई के समय उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है । युक्तिवाद (तर्क) किया गया था कि संभाजीनगर एवं अन्य जिलों के आधुनिक वैद्यों का (डॉक्टर्स का) अस्थायी रूप से स्थानांतर कर आयोग के सामने नए सरकारी चिकित्सकीय महाविद्यालय एवं चिकित्सालय आरंभ करने के लिए पर्याप्त मानव संसाधन होने का झूठा प्रदर्शन किया जाता था । इस जनहित याचिका की सुनवाई के समय न्यायमूर्ति रवींद्र वी. घुगे एवं न्यायमूर्ति संजय ए. देशमुख के खंडपीठ ने महाराष्ट्र में नए सरकारी चिकित्सालय आरंभ करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की जांच के समय झूठा प्रदर्शन करने के लिए अस्थायी रूप से आधुनिक वैद्यों की पुनः नियुक्ति करने पर स्थायी प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था ।
पूरे देश के आधुनिक वैद्यों में आनंद का वातावरण !
अस्थायी परिवर्तनों के कारण भिन्न सरकारी चिकित्सकीय महाविद्यालयों में कार्यरत आधुनिक वैद्यों को अनेक वर्षों से मानसिक एवं आर्थिक कष्ट होकर अन्याय हो रहा था । आयोग के उपरोक्त निर्णय से अब आधुनिक वैद्यों में आनंद का वातावरण देखने को मिलता है साथ ही उन्होंने इस निर्णय का स्वागत किया है एवं अनेक वैद्यों ने जलील के प्रति आभार दर्शाए हैं ।