मॉरिशस में छत्रपति शिवाजी महाराज के १२ फुट ऊंचे अश्वारूढ पुतले का अनावरण !

मॅारिशस के प्रधानमंत्री प्रवींदकुमार जगन्नाथ तथा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुतले का अनावरण किया

मुंबई – छत्रपति शिवाजी महाराज का जयघोष करते हुए २८ अप्रैल को ‘मॉरिशस’ के ‘मोका’ में शिवाजी महाराज के १२ फुट ऊंचे अश्वारूढ पुतले का अनावरण किया गया । मॅारिशस के प्रधानमंत्री प्रवींदकुमार जगन्नाथ तथा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुतले का अनावरण किया । इस समय पूरा परिसर शिवाजी महाराजजी के जयघोष से गूंज उठा था ।

मॉरिशस के ‘मराठी मंडळी फेडरेशन’ को महाराष्ट्र शासन की ओर से महाराष्ट्र भवन के विस्तार हेतु ८ करोड रुपए देने की घोषणा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की । मॉरिशस के १० छात्रों को महाराष्ट्र शासन की ओर से छात्रवृत्ति दी जाएगी । उन्होंने आगे कहा कि मॉरिशस के मराठी एवं महाराष्ट्रीय बंधुओं के लिए राज्य से सतत संपर्क में रहने के लिए एक कक्ष की स्थापना की जाएगी ।

पूर्णतः मराठी पद्धति से मनाया गया कार्यक्रम !

समारोह के स्थानपर गोंधळ (देवी भक्ति का एक कार्यक्रम), किसानों का नृत्य, पोवाडा (क्षात्रवृत्ति जागृत करनेवाले गीत) इत्यादि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ पूर्ण कार्यक्रम मराठी पद्धति से मनाया गया । इस समारोह में मॉरिशस के विदेश मंत्री एलन गानू, मॉरिशस के अन्य मंत्री तथा मॉरिशसस्थित भारतीय दूतावास की उच्चायुक्ता नंदिनी सिंगला, ‘मॉरिशस मराठी फेडरेशन’ के अध्यक्ष आसंत गोविंद उपस्थित थे । मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रवींदकुमार जगन्नाथ एवं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपना मनोगत व्यक्त किया ।

ईश्वर, देश एवं धर्म के लिए जीने की शपथ लेनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आदर्श हैं ! – देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

हमने अनेक राजा देखे; परंतु छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी दूरदर्शिता, शूरता, साहस अन्य किसी में नहीं देखा । इसीलिए उन्हें ‘श्रीमंतयोगी’ कहा जाता है । जलसंवर्धन, समुद्री सामर्थ्य, गढ-किलों की निर्मिति, प्रबंधन, अर्थव्यवस्था, कानून-सुव्यवस्था इत्यादि क्षेत्रों में उनका सामर्थ्य एवं चातुर्य आज भी पथप्रदर्शक है । महाराज ने हमें ‘महाराष्ट्र धर्म’ सिखाया । ईश्वर, देश एवं धर्म के लिए जीने की शपथ १४ वर्ष की आयु में लेनेवाले छत्रपति शिवाजी हमारे आदर्श राजा हैं । भारतीयों के मन में वीरता का बीज बोने का कार्य महाराज ने किया ।