(अब इनकी सुनिए ) ‘बौद्ध मंदिर तोड कर तिरुपति मंदिर का निर्माण हुआ है !’
कर्नाटक में अभिनेता चेतन का ‘शोध’ !
बेंगलुरू (कर्नाटक) – बौद्ध मंदिर तोड कर वहां तिरुपति देवस्थान का निर्माण किया गया है, कर्नाटक के अभिनेता चेतन ने यू ट्यूब पर एक साक्षाात्कार में ऐसा वक्तव्य दिया । इस वक्तव्य पऱ हिन्दुओं की ओर से क्रोध व्यक्त किया जा रहा है ।
Recently, I said Tirupathi was originally a Buddhist temple
Scholarship by K Jamanadas in his book ‘Tirupathi Balaji Was Originally a Buddhist Shrine’ (April 14, 2001) validate this claim
Acc to historians, temples were never Vedic institutions— they were co-opted from Buddhism pic.twitter.com/TU72mBh0tH
— Chetan Kumar Ahimsa / ಚೇತನ್ ಅಹಿಂಸಾ (@ChetanAhimsa) April 14, 2023
अभिनेता चेतन ने कहा,
१. ‘तिरुपति मूलतः बौद्ध मंदिर था’, के. जमुनादास ने अपनी ‘तिरुपति बालाजी मूलतः बौद्ध मंदिर’ ( १४ अप्रैल २००१ ) पुस्तक में वक्तव्य दिया है । इतिहासकार कहते हैं कि वैदिक संस्कृति के देवालय कभी नहीं थे । वे बौद्धों से नियंत्रण में लिए गए हैं । ( झूठ बोलें; पर छाती ठोककर बोलें, ऐसी मानसिकता के अभिनेता चेतन !- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. कर्नाटक को भाजपा के हिन्दुत्व की नहीं, अपितु पेरियार तथा डॉ. आंबेडकर के सिद्धांतों की आवश्यकता है । ( किसको कौन से सिद्धांतों की आवश्यकता है, यह समाज निश्चित करेगा । यह चेतन को नहीं निश्चित करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) तथा कांग्रेस, जनता दल (सेक्युलर) तथा आम आदमी पार्टी का राजनीतिक हिन्दुत्व भी नहीं चाहिए । देश की कोई भी पार्टी परिवर्तन का सिद्धांत नहीं बताती ।
३. लोकतंत्र में सत्य बताने का अधिकार है । मुझे लगता है सत्य मैं बता सकता हूं । मैं प्रमाण के साथ बोल रहा हूं । यदि आपके पास प्रमाण हो तो दें । राम नाम के व्यक्ति ने यहां जन्म लिया, यह सिद्ध करें । ( क्या अभिनेता चेतन इस प्रकार की चुनौती अन्य धर्मियों को देने का साहस कर सकते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. वास्तव में ये देवस्थान पूर्व में बौद्ध विहार ही थे । वैदिक काल अर्थात ईसाईपूर्व १ सहस्र ५०० से ईसाईपूर्व ५०० के मध्य का काल । तदुपरांत बौद्ध आते हैं । वैदिक काल में होम-हवन, यज्ञ सभी थे; परंतु देवस्थान तथा मंदिर नहीं थे । बुद्ध के पश्चात अशोक के आने पर, बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ तथा उसके उपरांत बौद्ध स्तूप तथा विहार आए । तत्पश्चात पुन: ब्राह्मण तथा वैदिक परंपरा आने पर ८४ सहस्र बौद्ध विहार तोड कर उन्हें हिन्दू मंदिरों में रूपांतरित किया गया । बौद्ध भिक्षुकों की हत्या कर बौद्ध विहारों को वैदिक मंदिर बनाए गए, ऐसा कहा जाता है । तब तक देवस्थान नहीं थे; क्योंकि वैदिक परंपरा में होम-हवन होता है । इसके प्रमाण हैं । इसके लिए चाहे जो प्रमाण देता हूं । ( इस प्रकार हास्य जनक वक्तव्य कर उनका प्रमाण देनेवाले लोग, भारत से बौद्ध धर्म कैसे समाप्त हुआ, पहले इसका विचार करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
५. मुख्य रूप से तिरुपति तथा केदारनाथ देवस्थान का निर्माणकार्य ऐसी ही पद्धति से किया गया है । तिरुपति देवस्थान पहले बौद्ध मंदिर था । ऐतिहासिक प्रमाण कहते हैं कि ८४ सहस्र बुद्ध विहार हैं । वे सभी राजा अशोक ने तथा उनके पश्चात के लोगों ने निर्माण किए ।
संपादकीय भूमिका
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