साधना करने के लिए अध्यात्म की जानकारी होना आवश्यक !
‘अध्यात्म’ एवं ‘साधना’ एक सिक्के के दो पहलू समान हैं । अध्यात्म उचित ढंग से समझने पर, साधना अच्छी कर सकते हैं और साधना अच्छी समझ में आने पर आगे आध्यात्म समझ में आता है । ‘अध्यात्म’ तात्त्विक (Theory) विषय है, जबकि ‘साधना’ कृति (Practical) है । साधना की नींव है अध्यात्म । साधक को अध्यात्म की संकल्पना जितनी अधिक स्पष्ट होती है, उसके लिए शीघ्र आध्यात्मिक प्रगति करना उतना ही सुलभ होता है । भक्तियोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग, ध्यानयोग इत्यादि साधना के अनेक मार्ग हैं । इनमें से किसी भी मार्गानुसार साधना करनी हो, तो उसके लिए बौद्धिक स्तर पर थोडा-बहुत अध्यात्म ज्ञात होना उपयुक्त होता है । इसलिए सनातन में किसी एक विशिष्ट साधनामार्ग का प्रसार नहीं किया जाता, अपितु केवल अध्यात्म की जानकारी को ही अधिक महत्त्व दिया जाता है । सनातन के ग्रंथ भी इसी उद्देश्य से प्रकाशित किए जा रहे हैं ।’
– (सच्चिदानंद परब्रह्म) डॉ. आठवले (२३.१०.२०२१)