घोर आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के संकलित ग्रंथ शीघ्र ही प्रकाशित होने के लिए साधकों की आवश्यकता !
१. आपातकाल के पूर्व सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों का समाज की दृष्टि से योगदान !
अ. ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों के ज्ञान से समाज सात्त्विक (साधक) बनकर वह हिन्दू राष्ट्र के लिए पोषक होगा । इससे ही हिन्दू राष्ट्र की रचना होनेवाली है ।
आ. यदि हम साधना करें, तभी भीषण आपातकाल में बच सकते हैं; क्योंकि साधकों पर भगवान की कृपा रहती है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों से उचित, वर्तमान वैज्ञानिक युग की पीढी सहजता से समझ पाए, ऐसी वैज्ञानिक परिभाषा में एवं काल के अनुसार आवश्यक साधना का ज्ञान मिलता है ।
इ. सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी विविधांगी विषयों के ग्रंथ संकलित कर रहे हैं । उस माध्यम द्वारा अनेक लोग अपनी प्रकृति एवं रुचि के अनुसार साधना की ओर शीघ्र मुड सकते हैं ।
ई. हिन्दू राष्ट्र कुछ सहस्र वर्षाें तक रहेगा; परंतु ग्रंथों में समाहित ज्ञान अनंत काल तक टिकता है । इसलिए जैसे हिन्दू राष्ट्र शीघ्र आना आवश्यक है, उतनी ही शीघ्रता से आपातकाल एवं तीसरा विश्वयुद्ध आरंभ होने से पूर्व ये ग्रंथ प्रकाशित करना भी आवश्यक है ।
२. ११४ विषयों की ग्रंथमालाओं के अंतर्गत ५ सहस्र से अधिक ग्रंथ प्रकाशित होने के कार्य में सहभागी हों !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी संकलित कर रहे ग्रंथों में से फरवरी १९९५ से फरवरी २०२३ तक ३६० ग्रंथ-लघुग्रंथों की निर्मिति हुई है । सर्वसामान्यतः १०० पृष्ठों का (५०० केबी का) एक ग्रंथ बनता है ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी द्वारा संकलित मनुष्य, साधना, कला, समाज, राष्ट्र, विश्व, अध्यात्म, धर्म आदि विषयों की ग्रंथमालाएं हैं । उसी प्रकार सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की जीवनगाथा, उनका कार्य एवं उत्तराधिकारियों से संबंधित कुल ११४ विषयों की ग्रंथमालाएं भी है । इसके अंतर्गत लगभग ५ सहस्र से अधिक ग्रंथ-निर्मिति की प्रक्रिया जारी है ।
उपरोक्त विषयों की ग्रंथमालाएं अधिक वेग से होने के लिए अनेक लोगों की सहायता की आवश्यकता है । अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार ग्रंथ-निर्मिति की सेवा में सहभागी होकर इस स्वर्णिम अवसर का अधिकाधिक लाभ लें !
– (पू.) संदीप आळशी, सनातन के ग्रंथों के संकलनकर्ता
३. निम्नांकित किसी भी सेवा में सम्मिलित होने के लिए संपर्क करें !
३ अ. ग्रंथ-निर्मिति से संबंधित सेवा
१. संगणकीय लेखन का संकलन; संस्कृत श्लोक आदि जांचना; साथ ही ग्रंथों का अंतिम संकलन करना
२. ग्रंथों की संरचना करना एवं सारणियां (टेबल) बनाना
३. मराठी, हिन्दी अथवा अंग्रेजी ग्रंथ देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवादित करना
उपरोक्त सेवाओं के लिए संगणक का सामान्य ज्ञान होना, साथ ही संगणकीय टंकण कर सकें, यह आवश्यक है । इच्छुक साधकों को इन सेवाओं में यदि रुचि है; परंतु इन सेवाओं का अनुभव नहीं है, तो वे कुछ दिनों के लिए सनातन के रामनाथी (गाेवा) स्थित आश्रम में रहकर ये सेवाएं सीख सकते हैं । आगे वे सनातन के आश्रम में अथवा घर पर ही सेवा कर सकेंगे ।
३ आ. मुद्रण से संबंधित सेवा
१. ऑफसेट प्रिंटिंग, मल्टीकलर प्रिंटिंग, सिंगल कलर प्रिंटिंग इत्यादि सेवाएं
२. मुद्रण से संबंधित विवरण (रिपोर्ट) प्रविष्टि जैसी संगणकीय सेवा करने के लिए ओपन ऑफिस, एक्सेल, कोरल ड्रॉ, इनडिजाइन, ई-मेल आदि का सामान्य संगणकीय ज्ञान होना चाहिए ।
३. ग्रंथों का मुद्रण उचित पद्धति से होने की जांच करना, ऐसी सेवाएं एक जगह पर बैठकर करना
४. ग्रंथों के बक्सों की यातायात जैसी शारीरिक क्षमताओं की सेवा करना
४. दोपहिया अथवा चारपहिया वाहन चलाना
जिनमें उपरोक्त सेवाएं करने की क्षमता है, उन्हें यदि ऊपर दिए अनुसार सामान्य ज्ञान (संगणकीय) न हो, परंतु ये सेवाएं सीखने में रुचि है, तो इन लोगों को भी संबंधित सेवाएं सिखाई जाएंगी ।
५ . सेवा के लिए इच्छुक साधकों की जानकारी
इन सेवाओं के लिए इच्छुक साधक उपरोक्त सारणी के अनुसार अपनी जानकारी सनातन के साधकों को संगणकीय धारिका अथवा लिखित स्वरूप में दें एवं साधक वह जानकारी अपने जिलासेवकों के माध्यम से श्रीमती भाग्यश्री सावंत के नाम sankalak.goa@gmail.com इस संगणकीय पते पर अथवा निम्नांकित डाक पते पर भेजें ।
डाक पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, रामनाथी, फोंडा, गोवा. पिन ४०३ ४०१.