साधको, विभिन्न घटनाओं के विषय में मिलनेवाली पूर्वसूचनाएं तथा दिखाई देनेवाले दृश्यों के संदर्भ में निम्नांकित दृष्टिकोण ध्यान में लेकर साधना की दृष्टि से उनका लाभ उठाएं !
‘कुछ साधकों को जागृतावस्था में विभिन्न दृश्य दिखाई देते हैं तथा पूर्वसूचनाएं मिलती हैं । उनमें कुछ दृश्य अच्छे, तो कुछ अनिष्ट गतिविधियों से संबंधित होते हैं । इसमें साधक ‘अनिष्ट शक्तियां ऐसे दृश्य दिखा रही हैं अथवा पूर्वसूचनाएं दे रही हैं’, यह विचार कर उसकी अनदेखी न करें । इस संदर्भ में निम्नांकित दृष्टिकोण ध्यान में रखकर इन घटनाओं की ओर देखना आवश्यक है ।
१. ‘दिखाई दिए दृश्यों के माध्यम से ईश्वर हमें सतर्क ही कर रहे हैं’ !
जीवन में कभी-कभी पूर्वसूचनाओं के अनुसार बिलकुल मेल खानेवाली प्रत्यक्ष घटनाएं वास्तविक जीवन में भी होती हैं । ध्यान रखें, ‘भगवान ने वह पूर्वसूचनाएं देकर अथवा दृश्य दिखाकर हमें पहले से सतर्क कर दिया है ।’
एक साधिका को ऐसा दृश्य दिखाई दिया कि ‘दूसरे दिन जो सेवा करनी है, उसमें समस्याएं आएंगी तथा उसे पूर्ण होने में समय लगने से उसमें साधकों का समय व्यर्थ होगा’; परंतु उसने उसकी अनदेखी की । वास्तव में दूसरे दिन सेवा में उसी प्रकार की समस्याएं आईं तथा उसमें साधकों का समय व्यर्थ हुआ । इस प्रसंग में साधिका पूर्व में दिखाई दिए दृश्य के आधार पर साधकों को सतर्क कर सकती थी, जिससे साधकों का समय बच जाता ।
२. सेवा परिणामकारी होने के लिए इन पूर्वसूचनाओं का लाभ होता है !
एक साधक को दिखाई दिया कि ‘गुरुपूर्णिमा की सेवा के अंतर्गत मैं जिस व्यक्ति से मिलनेवाला हूं, वह व्यक्ति देवीभक्त है तथा उसके कार्यालय में यंत्र पर नामजप चल रहा है ।’ वास्तव में उस व्यक्ति से मिलने जाने पर, वह देवीभक्त होने से सनातन का कार्य उस तक पहुंचाने की यह पूर्वसूचना ही थी । उसके अनुसार उसे मिलने जाते समय अपने साथ देवी से संबंधित सनातन के ग्रंथ तथा लघुग्रंथ ले जाने से वह सेवा अधिक प्रभावकारी हो सकती थी ।
३. पूर्वसूचनाओं एवं दृश्यों की ओर साधना के परिप्रेक्ष्य में देखें !
उक्त दोनों घटनाओं से ‘इन पूर्वसूचनाओं एवं दृश्यों की ओर साधना के परिप्रेक्ष्य में कैसे देखना चाहिए ?’, यह ध्यान में आता है । ‘ईश्वर हमारे भले के लिए अर्थात हमारी साधना के लिए ही यह कर रहे हैं’, यह भाव रखने से हमें उन गतिविधियों द्वारा साधना में लाभ उठाने की दृष्टि मिलती है । ‘हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित होता है, उसमें अनावश्यक कुछ नहीं होता’, इसे ध्यान में रखें ।
४. अनिष्ट बातों के संदर्भ में पूर्वसूचना मिलती हो, तो क्या करें ?
अनिष्ट बातों के संदर्भ में पूर्वसूचना मिलती हो अथवा दृश्य दिखाई देते हों; तो उस संदर्भ में नामजपादि उपचार करें । प्राप्त अनिष्ट पूर्वसूचनाओं को श्रीकृष्ण के नाम का मंडल बनाकर उसमें लिखकर ‘वैसा घटित न हो’, यह प्रार्थना लिखें । मंडल डाला हुआ कागज पूजाघर में अथवा ग्रंथ में रखें । अनिष्ट दृश्य दिखाई दे, तो अपने चारों ओर विभूति फूंकना, उदबत्ती प्रज्वलित कर नामजप करना आदि उपाय करें । सर्वशक्तिमान ईश्वर सदैव हमारे साथ हैं, इसलिए ऐसे दृश्यों से भयभीत न हों ।
५. अच्छी पूर्वसूचनाएं मिलने पर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें !
अच्छी पूर्वसूचनाएं अथवा दृश्य दिखाई दें, तो ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें । मुझे पूर्वसूचनाएं मिलती हैं, इसका अहं न होने दें । उसके स्थान पर ‘उन पूर्वसूचनाओं से ईश्वर को मुझे क्या सिखाना है ?’, इसका अध्ययन करें, साथ ही पूर्वसूचनाएं मिलने की अपेक्षा भी न रखें । ईश्वर की इच्छा से जो कुछ हो, उसका सामना कर उसे स्वीकार करें ।’
– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, पीएच.डी., महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा (२२.२.२०२३)